Hindi Essay, Moral Story “Ghar ka aaya naag na puje, Bambi pujan jaye” “घर का आया नाग न पूजे, बांबी पूजन जाएं” Story on Hindi Kahavat.
घर का आया नाग न पूजे, बांबी पूजन जाएं
Ghar ka aaya naag na puje, Bambi pujan jaye
बिना बताए जब कोई मेहमान आता था, तो बड़ी खुशी होती थी। आए हुए मेहमान का आदर-सत्कार करते थे। जब यह पता रहता था कि अमुक मेहमान अमुक तिथि को आ रहा है, तो प्रसन्नता तो होती थी, लेकिन इतनी नहीं होती थी, जितनी बिना बताए आने वाले मेहमान के आने पर होती थी।
देवता लोग तो न बिना बताए आते थे और न बताकर ही आते थे। वरना उनके आने पर तो बहुत प्रसन्नता होती। फिर भी एक नाग देवता हैं जो अधिकतर बिना बताए घरों में आ जाते हैं। किसी के घर में नाग आ जाता था, तो घर के लोग डर के मारे बाहर निकल आते थे। फिर किसी नाग पकड़ने वाले को बुलाकर लाते थे। घर में आए नाग देवता को पकड़वाकर जंगल या गांव के बाहर गांव से बहत दूर छुड़वा देते थे। कुछ लोग मिलकर लाठियों से नाग देवता को मार देते थे। कुछ लोग हाथ जोड़ लेते थे और नाग देवता इधर-उधर चले जाते थे।
कहने का मतलब यह है कि घर पर आए हुए नाग को कोई पूजता नहीं था। न कोई दूध पिलाता था, बल्कि उसे मार देते थे या भगा देते थे। जब नाग का पूजन करना होता तो गांव के बाहर खेत की मेंड़ों पर जाते थे। वहां नाग की बांबियां होती थीं, लेकिन नाग नहीं होते थे। वहां दूध से भरे मिट्टी के सकोरे छोड़ आते थे।
गांव के एक बुजुर्ग यह सब देखा करते थे। एक दिन गांव की औरतें मिलकर ‘नाग पंचमी के दिन गांव के बाहर बांबियां पूजने जा रही थीं। हाथ में दूध के भरे सकोरे और पके चावल लिए थीं। उन्हें देखकर एक बुजुर्ग बोल उठा-
‘घर का आया नाग न पूजें, बांबी पूजन जाएं।‘