Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay, Moral Story “Chati ka Jamun, mere muh me daal do” “छाती का जामुन, मेरे मुंह में डाल दो” Story on Hindi Kahavat for Students

Hindi Essay, Moral Story “Chati ka Jamun, mere muh me daal do” “छाती का जामुन, मेरे मुंह में डाल दो” Story on Hindi Kahavat for Students

छाती का जामुन, मेरे मुंह में डाल दो

Chati ka Jamun, mere muh me daal do

सड़क के किनारे एक बाग था। उस बाग में दो-तीन जामुन के पेड़ थे। जामुन के पेड़ के नीचे दो आदमी सो रहे थे। इधर-उधर तमाम जामुनें टपकी पड़ी थीं। एक जामुन एक आलसी के सीने पर पड़ी हुई थी। आंख खुलते ही उस आलसी को लगा कि छाती पर कुछ पड़ा है। उसने थोड़ा सिर उठाकर देखा, तो सीने पर एक जामुन दिखी। अब तो जामुन की गंध उस आलसी को बेचैन करने लगी। सीने पर पड़ी हुई जामुन को खाने का उसका बड़ा मन कर रहा था। पास में ही दूसरा आलसी लेटा था और जाग रहा था। उसने उससे कहा, “भैया, एक काम कर दोगे।” उसने पूछा, “क्या है?” उसने फिर कहा, “छाती का जामुन, मेरे मुंह में डाल दो।” दूसरे आलसी के मुंह को कुत्ता चाट रहा था। उसने उत्तर दिया, “यार, मैं कैसे डालूं ? कुत्ता तो मेरा मुंह चाट रहा है। तुम पहले कुत्ते को हटा दो, तो मैं जामुन तेरे मुंह में डाल दूंगा।“

दोपहर का समय था। कोई सड़क पर आता-जाता दिखाई नहीं दे रहा था। थोड़ी देर में उसे एक ऊंट लाते हुए उंटवरिया आता दिखाई दिया। जब वह करीब आया, तो उसने लेटे-लेटे टेढ़ा मुंह करके आवाज दी, “ओ ऊंटवाले भैया, जरा एक बात सुनना।”

उंटवरिया ने समझा, कोई बेचारा आवाज लगा रहा है, चलो देखते हैं क्या परेशानी है? उसने ऊंट से उतरकर ऊंट की डोरी एक पेड़ से बांधी और उस व्यक्ति की ओर चल दिया। पास आकर उसने पूछा, “क्या परेशानी है भाई?” वह लेटे-लेटे ही बोला, “छाती का जामुन, मेरे मुंह में डाल दो।”

इतना सुनकर उंटवरिया को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा, “तेरे जैसा आदमी तो इस दुनिया में कहीं नहीं होगा। तुझे तो चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए। सीने पर पड़ी हुई जामुन खुद उठाकर नहीं खा सकता? बेमतलब परेशान किया।”

वह आलसी बोला, “उंटवरिया भैया, सच बोलना। मेरे से ज्यादा तुम आलसी नहीं हो क्या? वहां से यहां आकर भी तुम छाती का जामुन, मेरे मुंह में नहीं डाल सके।”

उंटवरिया बोला, “लेटा रह, तेरी किस्मत में नहीं जामुन खाना।” इतना कहकर उसने वहीं से दो-तीन साफ-सी जामुन ली और मुंह में डालकर चबाता चला गया। वह आलसी लेटा-लेटा उंटवरिया को जामुन खाते देखता रहा और थूक के घूंट लीलता रहा। रास्ते भर उंटवरिया सोचता रहा कि ऐसे भी आलसी हैं इस दुनिया में, जो दूसरे से कहें-

छाती का जामुन, मेरे मुंह में डाल दो

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *