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Ek Pheri Wale ki Atmakatha “एक फेरी वाले की आत्मकथा ” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

एक फेरी वाले की आत्मकथा

फेरी वाला एक परिचित व्यक्ति है। वह चलती फिरती दुकान है। वह प्रतिदिन में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें घूम कर बेचता है। वह उन्हें टोकरी में डाल कर अपने सिर पर रखकर या एक रेड़ी में रख कर हाथों से खींचता है। वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हुए आवाज़े लगाता है।

फेरी वाले अलग-अलग तरह के होते हैं। कुछ ऐसे हैं जो कस्बे-से-कस्बे में या गाँव-से-गाँव में जाते हैं। सभी फेरी वाले स्थानीय बाज़ार से खरीद कर गलियों में बेचते हैं। फेरीवाला बहुत ही उपयोगी कार्य करता है। वह हमारे घर पर सामान देता है। वे लोग जो बाज़ार जाने का समय नहीं निकाल सकते उन्हें उससे सामान लेना बहुत आसान लगता है।

फेरी वाला अपने सामान के बारे में ज़ोर से बोल कर बताता है। वह अपनी आवाज़ से पहचाना जाता है। इलाके के लोगों को उसकी फेरी का समय पता होता है। वे उत्सुकता से उसका इन्तजार करते हैं।

ऐसे कुछ फेरी वाले हैं जो केवल औरतों की ज़रुरतों को ही पूरा करते हैं। चूड़ी बेचने वाला एक ऐसा मशहूर फेरी वाला है। वह अपने पास रंग-बिरंगी चूड़ियाँ रखता है, जो सभी औरतों की ज़रुरत के अनुसार होती हैं। दूसरे फेरी वाले कपड़े, ऊन इत्यादि बेचते हैं।

कुछ फेरी वाले खाने का सामान भी बेचते हैं, हालांकि कुछ तो बहुत साफ होते हैं, दूसरे अपने ग्राहकों की सेहत का ध्यान नहीं रखते। वे बासी और खाने का गन्दा सामान बेचते हैं।

मक्खियों और मिट्टी ऐसे बिना ढके सामान पर बैठ जाती हैं। कई बार लोग, खास करके बच्चे जो इन फेरीवालों से सामान खरीद कर खाते हैं, बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे फेरी वालों को दूर रखना चाहिए। उन्हें लोगों की सेहत के साथ खेलने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।

एक फेरी वाला अपनी जीविका कड़ी मेहनत से कमाता है। उसे घर-घर और गली-गली अपना सामान बेचने के लिए जाना पड़ता है। वह बहुत भार उठाता है। उसे हर मौसम में बाहर जाना पड़ता है नहीं तो वह भूखा मर जाए।

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