Ek Bus Chalak ki Atmakatha “एक बस चालक की आत्मकथा ” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
एक बस चालक की आत्मकथा
हम सब बस चालक को जानते हैं, जो हमारे लिए बस चलाता है। वह आमतौर पर चुस्त और जागरुक होता है। उसकी आँखें तीक्ष्ण होती हैं। वह ध्यान से चलाता है ताकि दुर्घटना नहीं हो।
वह लोगों को उनके कर्मस्थल या नियत स्थान पर पहुँचने में मदद करता है। वह बहुत ही उपयोगी जन सेवा करता है। उसे बस समय पर चलानी होती है। लोग ट्रेन या दूसरी बसें पकड़ने के लिए बस का इंतार करते हैं।
बस चालक का जीवन बहुत ही थकाने वाला और कठिन होता है। वह बस लम्बे समय तक चलाता है। वह अक्सर देर से सोता है। जब वह देर तक गाड़ी चलाता है। यदि वह अन्तरराज्य रूट पर हो तो उसे अपने परिवार और घर से दूर बस में ही सोना पड़ता है। बस चालक का काम बहुत कठिन है। उसे शहरों की भीड़ भरी सड़कों पर बस चलाते समय बहुत सतर्क रहना पड़ता है। उसे गाड़ी को सही अवस्था में रखना पड़ता है। उसे उसकी ब्रेक, टायर इत्यादि देखने पड़ते हैं। उसे ध्यान रखना होता है कि सड़कों पर आवारा जानवर, चलते हुए या भागते हुए बच्चों को चोट नहीं लगे।
बुरे बस चालक भी होते है। वे सभी चालकों के लिए बुरा नाम कमाते हैं। आमतौर पर चालक खुशमिजाज व्यक्ति होता है। वह आमतौर पर विनम्र और समझदार होता है। उसके पास ड्राईविंग लाएसैंस होता है। कई बार उसका तेज या ध्यानपूर्वक न चलाने पर चालान हो जाता है। ऐसे चालक कम होते है। वे अपने यात्रियों का जीवन खतरे में डालते हैं। स्कूल की बस के चालक को अधिक ध्यान देना होता है। जो भी हो चालक का कार्य बहुत ही कठिन और थकाने वाला होता है। चालक को नशीली दवाओं का सेवन करने वाला नहीं होना चाहिए। उसे यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए।