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Archive by category "Languages" (Page 128)
जंगल का बादशाह Jungle ka Badshah जोश मलीहाबादी ‘आजकल’ मासिक पत्र के सम्पादक थे। एक बार उनके मित्र ने पूछा, “कहिए जोश साहब सरकारी नौकरी में कैसी गुजर रही है ?” जोश साहब ने थोड़ा ठहर कर उत्तर दिया, “क्या बतायें भैय्या, जंगल में बादशाह को तांगे के आगे जोत दिया है।”
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पहली अप्रैल Pehli April उर्दू के विख्यात शायर पं. ब्रजनारायण ‘चकवस्त’ यद्यपि बड़े गम्भीर व्यक्ति थे, पर व्यंग्य-विनोद भी उनमें कूट-कूट कर भरा था। वह पेशे में वकील थे। एक बार वह किसी मुकदमे में बहस कर रहे थे, तो जज ने कहा, “पण्डित जी, आपके मुकदमे की अगली तारीख पहली अप्रैल रख दी जाये ? आपको कोई असुविधा तो नहीं होगी ?” चकबस्त तुरन्त उत्तर दिया, “असुविधा कैसी ? वकील...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourEnglish (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नया जूता Naya Juta एक दिन कोई साहब मिर्जा गालिब से मिलने उनके घर आए। थोड़ी देर बैठने के बाद जब वह जाने लगे तो मिर्जा हाथ में शमादान लेकर उन्हें पहुँचाने नीचे आये। नीचे पहुंचकर आगन्तुक सज्जन ने शिष्टतावश कहा-“आपने क्यों तकलीफ की? मैं अपना जूता खुद पहन लेता।” मिर्जा गालिब ने अपने खास अंदाज में तुरन्त जवाब दिया- “मैं आपको जूता दिखाने के लिए शमादान नहीं लाया हूँ, बल्कि...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गालिब का उधार Ghalib ka Udhar प्रसिद्ध उर्दू शायर मिर्जा गालिब का जीवन सदा तंगी, बदहाली और उधारी में ही बीता। एक बार एक लेनदार वसूली के लिए उनके घर पहुँचा। मिर्जा गालिब ने उसका बहुत अच्छा सत्कार किया और उसके सामने मिठाइयाँ पेश की। लेनदार ने नाक-भौंह सिकोड़ कर कहा, “आपके पास मुझे देने के लिए पैसा नहीं हैं, लेकिन इतनी महंगी चीजें खाने-खिलाने के लिए पैसा है !”...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कुरूप जायसी Kurup Jayasi मलिक मोहम्मद जायसी अनूठे कवि थे। उनकी लेखनी तथा वाणी इतनी प्रभावी थी कि बड़े-बड़े साहित्य प्रेमी उनके साथ के लिए लालायित रहते थे। साहित्य में उनके योगदान को आज भी बहुत याद किया जाता है। एक बार वह शेरशाह सूरी के दरबार में पहुँचे। शेरशाह ने जैसे ही एक आँख से हीन व कुरूप जायसी को देखा, उनको हंसी आ गयी। जायसी समझ गये कि बादशाह...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आलम और जहान Aalam aur Jahaan ब्रज में एक कवि हुए हैं-आलम। आलम की पत्नी शेख रंगरेजिन भी अच्छी कविता कर लेती थी। अपने बेटे को वह जहान नाम से बुलाती थी। एक बार शहजादा मुअज्जम ने शेख से पूछा – “क्या आप ही आलम की पत्नी हैं ?” शेख ने हंसकर जवाब दिया-“हाँ जहाँपनाह! जहान की माँ मैं ही हूँ।”
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दान बड़ा शुभ काम Daan bada shubh kaam राजा भोज के दरबार में शीतल नाम के एक कवि थे, जिन्हें राजकवि का दर्जा मिला हुआ था। एक दिन राजकवि गर्मी की प्रचंड धूप में कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक अति दुर्बल आदमी नंगे पैर कहीं जा रहा है और तेज गर्मी व धूप के कारण बहुत दुखी हो रहा है। न तो वह अति दुर्बल होने...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
निंदक Nindak एक बार राजा विक्रमादित्य की सभा जुड़ी हुई थी। विद्वतजन, सामन्त और योद्धा सभी बैठे हुये थे। विक्रमादित्य के प्रसिद्ध नवरत्न भी बैठे थे। अचानक एक सामन्त के गाल पर एक मक्खी आ बैठी। उसने अपने गाल पर तमाचा माकर मक्खी को भगाना चाहा तो राजा का ध्यान भी उस ओर गया। उन्हें तब मालूम हुआ कि मामला एक मक्खी का है, तो वे बोले, “मक्खी तो इतना काटती...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment