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Badhti hui Abadi “बढ़ती हुई आबादी” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 Students.

बढ़ती हुई आबादी

Badhti hui Abadi

आबादी या जनसंख्या का अर्थ है किसी निश्चित क्षेत्र में, निश्चित समय पर रहने वाले मनुष्यों की संख्या। आज भारत की आबादी एक अरब से अधिक हो चुकी है। लगभग दो करोड़ लोग प्रतिवर्ष इस देश में बढ़ जाते हैं।

आबादी की अधिकता अनेक समस्याओं की जनक है। इस समस्या पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो देश का भविष्य गंभीर संकट में होगा, यह तय है।

आबादी बढ़ने के अनेक कारण हैं। गरीबी, अशिक्षा और अज्ञान से उपजे अंधविश्वास की हमारे देश में कमी नहीं। संतान भगवान या खुदा की देन है। घर में अधिक लोग, अधिक काम; अधिक हाथ, अधिक कमाई जैसी मान्यताएँ हमारे देश में अभी भी हैं। इससे परिवार कल्याण’ कार्यक्रम को गहरा धक्का लगा है।

जाति और धर्म के नाम पर भी अंधविश्वास फैलाकर लोगों को गुमराह किया जाता है। कम उम्र में विवाह, एक से अधिक बार विवाह भी इस समस्या की जड़ में हैं।

भारत जैसे देश की गर्म जलवायु भी संतान वृद्धि के अनुकूल है। स्वास्थ्य सेवाओं के लगातार विस्तार और लोगों में बढ़ी जागरूकता के कारण मृत्यु दर एक प्रमुख कारण है। निरंतर कम होती गयी है। यह मानवीय कार्य है, पर यह भी आबादी बढ़ने का

आबादी के बढ़ने का विपरीत प्रभाव समाज और देश के विकास पर पड़ता है। विकास के अवरुद्ध होने के साथ ही अनेक समस्यायें जन्म लेती हैं। आज देश में लाखों-करोड़ों बेरोजगार नवयुवा हैं। इससे उनकी प्रतिभा, शक्ति और कार्य क्षमता कुंठित हो रही है। अनेक युवक अपराध और असामाजिक कार्यों की ओर उन्मुख हो रहे हैं। अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है।

किसी देश की भूमि और संसाधन तो वही रहते हैं, इनमें वृद्धि सम्भव नहीं है। अतः देश की जनसंख्या बढ़ने पर लोगों की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं; गरीबी का फैलाव बढ़ता जाता है। बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं।

अशिक्षा का कारण भी गरीबी होती है, जो जनसंख्या वृद्धि का ही कारण है। इसी कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है।

प्रदूषण, प्राकृतिक असुंतलन और संसाधनों का अभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। इसके मूल में भी जनसंख्या वृद्धि की समस्या है। इसी समस्या के कारण पर्यावरण में गंभीर असंतुलन पैदा हो रहा है, जो मानव सहित सभी जैव-जातियों के अस्तित्व के लिये गंभीर संकट बनकर उपजा है।

आबादी को बढ़ने से रोकने के लिये आवश्यक उपाय आज अत्यंत जरूरी हो गये हैं। यह एक चुनौती भरा कार्य है, जिस पर हर व्यक्ति को ध्यान देना आवश्यक है।

गरीबी और अशिक्षा दूर करने के सार्थक प्रयास हों; अंधविश्वासों को दूर किया जावे; छोटे परिवार के महत्व के लिये समाज में चेतना जागृत हो, ऐसे उपाय किये जाने चाहिये।

आबादी की इस तेजी से वृद्धि को रोकना बहुत आवश्यक है अन्यथा भीषण समस्यायें बढ़ेगी। देश आर्थिक रूप से कमजोर होता जायेगा और स्वास्थ्य, आवास, भोजन और शिक्षा जैसी मौलिक जरूरतें निरंतर कम होती जायेंगी। अतः इस समस्या के सम्पूर्ण निराकरण के लिये सारे देशवासियों को सहयोग देना परमावश्यक है।

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