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Aphunti Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | अपह्नति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
अपह्नति अलंकार
Aphunti Alankar
जहाँ वास्तविक वस्तु का (उपमेय) निषेध करके अवस्तु (उपमान) की स्थापना की जाय, वहाँ अपह्नति अलंकार होगा। जैसे –
मैं जो कहा रघुवीर कृपाला, बन्धु न होइ मोर यह काला ।
यहाँ भाई (उपमेय) का निषेध करके काल (उपमान) की स्थापना की गई है।
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी ।
हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी।