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Aatankwad – Ek Veshvik Mudda “आतंकवाद-एक वैश्विक मुद्दा” Hindi Essay 1200 Words for Class 10, 12 and Higher Classes Students.

आतंकवादएक वैश्विक मुद्दा

Aatankwad – Ek Veshvik Mudda

आतंकवाद भारत एवं विश्व दोनों के लिए समान रूप से चुनौतिपूर्ण है, आज पूरी दुनिया आतंकवाद का सामना कर रही है, दुनिया का कोई भी देश चाहे वो विकासशील हो या विकसित वह आतंकवाद के कुप्रभाव से नहीं बचा है। अमेरीका से चीन तक हर देश आतंकवाद के साये में जी रहा है, आतंकवाद के लिए अंग्रेजी शब्द Terrorism फ्रेंच भाषा के शब्द Terrorisme से बना है, जिसका प्रथम उपयोग फ्रांस में आतंक के दौर में फ्रांसीसी सरकार के द्वारा प्रायोजित आतंक के लिये किया गया था। फ्रेंच शब्द terrorisme लैटिन शब्द terro से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘मैं डरा हूँ।’

यद्यपि आतंकवाद शब्द का प्रयोग सरकार के द्वारा किये गये कार्यों को निरूपित करने के लिए किया गया था, अब इस शब्द का प्रयोग गैर-सरकारी समूहो द्वारा आम जनता में डर फैलाने के लिए किये जा रहे कृत्यों के लिए किया जाता है। नवम्बर 2004 में संयुक्त राष्ट्र संघ को एक रिर्पोट में आतंकवाद शब्द की व्याख्या करते हुए कहा गया कि आतंकवाद में वे सभी कार्य आते है जिनके द्वारा आम जनता की जन हानी होती है या उन्हे शारीरिक नुकसान पहुँचता है तथा इन कृत्यों के द्वारा सरकार या अंर्तराष्ट्रीय संस्था को किसी काम के लिए मजबूर किया जाता है।

आतंकवाद तथा अतंकवादी शब्दों का बहुत ही नकारात्मक संकेतार्थ होता है। इन शब्दों का एक राजनीतिक प्रयोग होता है, हिंसा की आलोचना करने के लिए अथवा कुछ खास लोगों द्वारा की गयी हिंसा की धमकी को अनैतिक अनुचित बताने के लिए अथवा जनसंख्या के एक बहुत बड़े वर्ग को दोषी ठहराने के लिए। जिन लोगो के विपक्षी उन्हें आतंकवादी कहते है वे अपने आप को सामान्यतः आतंकवादी नही मानते बल्कि अपने आप को अलग शब्दों से पुकारते है जैसे अलगाववादी, स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी, गौरिल्ला, विद्रोही इत्यादी। ये जितने भी शब्द है अलग-अलग संस्कृतियों में इनके लिये अलग-अलग शब्द मे प्रयोग होते हैं। जैसे अरेबिक में जेहादी, मुजाहीदिन फिदायीन। किसी भी संघर्ष में शामिल दोनो पक्षों द्वारा एक दूसरे को आतंकवादी कहना समान्य बात है। आतंकवाद का एक बेहद गंभीर प्रकार धर्मिक आतंकवाद है। इस प्रकार के आतंकवाद में एक समूह या व्यक्ति के द्वारा आतंकवाद किया जाता है जिसका मॉटिवेशन विश्वास आधरित सिद्धांतों के द्वारा होता है। सदियों से आतंकवादी घटनाये धार्मिक आधार पर की जा रही है, जिसका उद्देश्य एक विचार या धर्म या विश्वास को फैलाने या जबरन लागू करना होता है। धर्मिक आतंकवाद किसी धर्मिक विचारों को परिभाषित नही करता बल्की उस धर्म से संबंधित कुछ व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनधित्व करता है। आतंकवाद उन देशों में आम या समान्य घटना है जहाँ व्यक्ति को पूर्ण आजादी नहीं प्राप्त हैं लेकिन समान्य तौर पर पूर्ण विकसित या पूर्ण गणतांत्रिक देशों में यह समस्या कम है। यद्यपि आत्मघातिक आतंकवाद इस समान्य नियम का एक अपवाद है। इस विशेष तरीके के आतंकवाद के सबूत यह बताते है कि आधुनिक आत्मघातिक आतंकवाद विकसित गणतांत्रिक देशों को ज्यादा लक्ष्य बनाता है।

अगणतांत्रिक देशों में आतंकवादी के विभिन्न उदाहरण उपलब्ध है। जैसे सैन्य शासन के अधीन निम्नलिखित देशों स्पेन, पेरू, तुर्की एवं दक्षिण अफ्रीका में क्रमशः ETA, शाइनिंग पथ, कुर्दिस्तान वर्कस पार्टी एवं A.N.C. ।

जनतांत्रिक देशों जैसे अमेरीका, ब्रिटेन, इजराईल, इडोनेशिया, भारत और फिलिपिन्स जैसे देश आतंरिक आतंकवाद जैसे समस्या से जूझ रहे है।

आतंकवाद आधुनिक समाज का सबसे बड़ा खतरा है। यह इंसान के सामने आयी सबसे कठिन चुनौती है।

कुछ छोटे से संगठनों ने इंसानों के रक्षाकवच प्रयोग करते हुए साधारण देशों के ही नहीं बल्की दुनिया के सबसे ताकतवर देशों की नाक में दम कर रखा है। बम विस्फोट, बेहतर विस्फोटक तकनीक, आत्मघाती हमले इत्यादी आतंकवाद के मुख्य आधार है, इनका प्रयोग विभिन्न आतंकवादी संगठनो ने कानून लागू करने वाली संगठन के साथ आम जनता के विरूद्ध भी बहुत सफलता से किया है। इन घटनाओं का प्रारंभिक उद्येश्य आम जनता एवं कानून लागू करने वाली संस्थाओं के बीच के सहयोग को रोकना होता है। दुनियाँ के कुछ एक बड़े देशों के अतिरिक्त पाकिस्तान, इराक, अफगानिस्तान आतंकवाद के सबसे बड़े शिकार रहे है।

इन सभी देशों में कानून लागू करने वाली संस्थाओं में सबसे बड़ी समस्या इन आतंकवादियो को आम जनता के बीच से बाहर निकालने के लिए है क्योंकि ये लोग आम जनता के बीच घुलमिल जाते है। सार्वजनीक स्थल पर इन आतंकवादीयों का पकड़ा जाना इनके लिए प्रभावी रोक हो सकती है।

जहाँ तक भारत की बात है, भारत आतंकवादी घटनाओं से बहुत ही बुरी तरह प्रभावित रहा है। भारत मे आतंकवाद मुख्यतः धार्मिक एवं नक्सल कारणों से फैला है। भारत के जिन क्षेत्रों में ये घटनायें सबसे ज्यादा दिनों से हो रही है, उनमें जम्मू-कश्मीर, मुम्बई, मध्य भारत (नक्सलवाद) एवं सात सहेली (उत्तर-पूर्व) राज्य हों। अगस्त 2008 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायण ने कहा कि भारत में लगभग 800 आतंकवादी समूह कार्य कर रहे है।

मुम्बई सभी आतंकवादी संगठनों के लिए पसंदीदा स्थल रहा है विशेषकर पाकिस्तान में केन्द्रित भारत विरोध अलगाववादी ताकतों के लिए। पिछले कई वर्षों से मुम्बई में लगातार बम धमाके हुए है जिसमे मुख्य घटना 5 जुलाई 2006 में लोकल ट्रेन में धमाका, 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई के दो प्रमुख होटलों एवं यहुदी स्थान में हमला एवं सबसे ताजा हमला 13 जुलाई 2011 को हुआ। जिसमें 25 लोग मारे गये और 10 घायल हुए।

वास्तव में आतंकवाद पूरी दुनियाँ के लिए वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है। इसके प्रभाव इतने शक्तिशाली हो सकते है जिसके कारण देशों की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है या देशों के बीच आपसी वैमनस्य बढ़ सकता है। आतंकवादी पैदा नही होते बल्की उन्हे धर्म के आधार पर बनाया जाता है। कोई भी धर्म आतंकवाद की बड़ाई नहीं करता। और न ही अपने मानने वालों को दूसरे लोगों की जान लेने को कहता है लेकिन इसके लिए ये लोग असानी से धर्म के नाम पर हो जाते है।

अलग-अलग देशों में आतंकवाद के अलग-अलग स्वरूप है। जैसे सोमालिया में समुद्री दस्यू जो समुद्री जहाजों का अपहरण कर लेते है और उसके बदले मे काफी बड़ी रकम फिरौती के रूप में लेते है, जिसके कारण संयुक्तराष्ट्र अपने सदस्य देशों से उनपर जबाबी हमले करने के लिए कहा। भारत ये काम काफी दिन पहले से कर रहा है जिस दौरान भारतीय समुद्री नौ सेना ने कई सारे जहाजों के अपहरण को रोका है, चीन भी इस क्षेत्र में अपने जहाजों को भेज रहा है। अफगानिस्तान में यह काम तालीबान की ओर से होता है जिन्होने खुद अपने देश को बर्बाद कर दिया। इराक में यह काम सद्दाम हुसैन के द्वारा होता था, जो अब नहीं है लेकिन उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण इराक को फिर से समान्य स्थिति में आने में कई दशक लग सकते है।

अमेरीका के ट्विन टावर पर 11 सितंम्बर के हुए क्रूर हमलों का अमेरिकी नागरिक न होने के बावजूद भी हम सबको दुःख हुआ, हमने देखा था कि लोगों ने कैसे अपने जीवन के लिए संघर्ष करते हुए अपना दम तोड़ दिया और दुनिया कुछ नही कर पायी इसका परिणाम यह हुआ कि अमेरीका ने अफगानिस्तान पर हमला किया और मुल्ला उमर के शासन का खात्मा किया। अगर अमेरीका ने ऐसे पहले किया होता तो उसके अपने लोग नहीं मरते अब भी वे पाकिस्तान को उसके विभिन्न कार्यों के लिए फंड दे रहा है जिसका एक उपयोग हथियार खरीदना होता है। उन्होंने इनके ऊपर रोक लगाने की कोई कोशिश नहीं की जिन लोगों ने अमेरीका तथा ब्रिटेन के लोगों को मारा। इसके लिए हम अमेरिकी और ब्रिटेन की सरकारों के ऊपर आरोप नहीं लगा सकते। क्योंकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेवार ठहराया। अब अमेरिका के नागरिकों को एक होकर अपनी सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि अमेरिकी सरकार पाकिस्तान मे अवस्थित आतंकवादियों पर कार्यवाही करे क्योंकि केवल हम लोग ही इस को संभव बना सकते है।

हमारे अपने संसद पर हुए हमले में हमारे धैर्य की पुनः परीक्षा ली हम हमेशा से एक रहे है और इस तरह की हरकते हमारी एकता को और मजबूत करेगीं एवं हम और ताकत के साथ इनका मुकाबला कर सकेंगे। आतंकवाद हमेशा निर्दोष लोगों पर असर करता है क्योंकि इंग्लैण्ड में हुए बम विस्फोट का असर बंगलोर के लोगों ने देखा जब एक डाक्टर को केवल इस लिए इसका मुख्य आरोपी बना दिया गया क्योंकि वह मुस्लिम था। बाद में निर्दोष साबित होने पर उसे छोड़ना पड़ा है। इस तरह की बहुत सारी घटनायें हमने देखी है ।

अतः राष्ट्रीय क्षेत्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी उपाय किया जाना चाहिए और दुनियाँ में शांति स्थापित की जा सके।

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