Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Bharatiya Khelo ka Vartman aur Bhavishya” , “भारतीय खेलों का वर्तमान और भविष्य” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
भारतीय खेलों का वर्तमान और भविष्य
Bharatiya Khelo ka Vartman aur Bhavishya
खेल–विमुखता क्यों–आज भी भारत में बच्चे को खेलता देखकर माता-पिता के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं। इस कारण यहाँ खेलों का वर्तमान तथा भविष्य रामभरोसे है। खेल संस्थानों में भी परंपरागत शिक्षा को महत्त्व मिलता जा रहा है।
खेलों को प्रोत्साहन कैसे मिले–भारत में खेलों को प्रोत्साहन तभी मिल सकेगा, जबकि भारत सरकार अपनी शिक्षा-नीति और खेल-नीति में परिवर्तन करेगी। छात्रों के लिए खेलों में उत्तीर्ण होना भी अनिवार्य कर दिया जाए तो खेल-जगत में नए अध्याय खुल सकते हैं।
पुरस्कार और खेल–ढाँचे की व्यवस्था–यदि भारत में नई प्रतिभाओं को खेलों की ओर बढाना है तो उसके लिए गाँवों से लेकर बड़े नगरों तक कुछ मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करनी पड़ेंगी। खेल-प्रशिक्षण की नई अकादमियाँ. प्रशिक्षक, धन-राशि, प्रतियोगिताआ। के आयोजन, पुरस्कार, सम्मान आदि की व्यवस्थाएँ बढ़ानी होंगी। यह अकेले सरकार के भरोसे नहीं हो सकता।
हमारा वर्तमान–खेलों में भारत जैसे विशाल राष्ट्र का वर्तमान बहत निराशाजनक है। केवल क्रिकेट ही ऐसा खेल है जिसन ग्लैमर के कारण लोग इस पर जान छिड़कते हैं। पूरा देश क्रिकेट के पीछे पागल है। परंत हॉकी की दुर्दशा देखिए। इसी खल – भारत ने विश्व-भर में अपनी पहचान बनाई थी। भारत ने इस खेल में आठ ओलंपिक स्वर्ण और दो कांस्य प्राप्त किए है। परंतु तो सरकार ने उसे प्रोत्साहन दिया, न मीडिया और जनता ने बढ़ावा दिया। परिणामस्वरूप हॉकी के खिलाड़ी हाशिये पर होते-होते ओलंपिक से ही बाहर हो गए। इसी भाँति हमारे पहलवान, मक्केबाज, तैराक. निशानेबाज समाज में उतना सम्मान और धन नही पा सकते। इस कारण ये खेल पिछड़ते गए। बीजिंग के ओलंपिक में भी जिन खिलाड़ियों ने परस्कार जीते, वे निजी मेहनत के बल पर जीते। उनकी जीत में सरकार और समाज का योगदान बहुत कम है।
भविष्य–यदि बीजिंग ओलंपिक के स्वर्णपदक ने भारत सरकार और जनता की आँखों को खोलने में सफलता पा ली, तो खेलों का नया अध्याय खुल सकेगा। हमें आशा है कि नई जीत से उत्साहित होकर कछ परिवर्तन अवश्य आएँगे और हम खेलों में आगे बढ़ेंगे।