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Vyavasaaya ka Chunav “व्यवसाय का चुनाव करना” Hindi Essay 700 Words for Class 10, 12.

व्यवसाय का चुनाव करना

Vyavasaaya ka Chunav

आज के समय में व्यवसाय का चुनाव एक जटिल समस्या बन गई है। अमरीका में एक राष्ट्रीय बुद्धि परीक्षा कार्यालय है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि की परीक्षा की जाती है। यह परीक्षा बड़े पैमाने पर की जाती है। ऐसी परीक्षा के उपरान्त किसी व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त व्यवसाय का चुनाव करना बहुत आसान हो जाता है। इस तरीके से, स्वतः ही हमारी राष्ट्रीय क्षमता और हमारे स्वास्थ्य का बचाव होगा। यह हमारी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में भी पूरी तरह से सुधार लाने में सहायक होगा जो इस समय अत्यधिक त्रुटिपूर्ण है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत हमारे विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय असंख्य युवकों को जिस प्रकार से शिक्षित कर रहे हैं। उससे वे, सिवाय क्लर्क बनने के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य के लिए उपयुक्त नहीं होते। हमें इन संस्थाओं को क्लर्क बनाने वाला कारखाना कहना चाहिए। इनमें वकील, डाक्टर, इंजीनियर आदि कम परन्तु क्लर्क अधिक पैदा होते हैं।

व्यवसाय का चुनाव करने के लिए बहुत-सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहली और प्रमुख बात है युवक की पसन्द और अभिरुचि। यदि किसी व्यक्ति की किसी व्यवसाय में अभिरुचि है या उसे वह पसन्द करता है तो इस बात की कोई सम्भावना नहीं है कि वह उसमें अयोग्य सिद्ध हो। वह अपने आपको किसी अनुपयुक्त स्थान पर आया हुआ नहीं समझेगा। जिस व्यक्ति को संगीत में रुचि है वह अच्छा संगीतज्ञ तो बन पायेगा, वकील नहीं। रवीन्द्रनाथ टैगोर की काव्य में रुचि थी। यदि उन्हें इसके स्थान पर किसी अन्य व्यवसाय में डाल दिया जाता तो परिणाम, उनके लिए और विश्व के लिए भी बहुत अनर्थकारी होता। अतः अभिरुचि पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।

अत्यधिक योग्यता वाले युवक को किसी पाण्डित्यपूर्ण व्यवसाय में ही जाना चाहिए। परन्तु यहाँ भी ध्यानपूर्वक चुनाव करना होगा। यदि उसका मस्तिष्क तर्कपूर्ण है और उसमें बातचीत करने की निपुणता है परन्तु गणित में कोई रुचि नहीं तो सम्भावना यही है कि वह एक सफल वकील बने न कि एक इंजीनियर। इसके लिए आर्थिक सम्पन्नता अनिवार्य हो गयी है। हो सकता है कि किसी विशेष व्यवसाय में उसकी अभिरुचि हो और उसके लिए आवश्यक योग्यता भी हो, परन्तु यदि उसके पिता अथवा अभिभावक, उस व्यवसाय की शिक्षा अथवा प्रशिक्षण का खर्च उठाने में असमर्थ हों तो इस परिस्थिति में उसके लिए उस व्यवसाय में जाने का विचार करना ही व्यर्थ होगा ।

किसी विशेष व्यवसाय में जाने के लिए प्रतियोगिता को भी व्यवसाय के चुनाव के समय ध्यान में रखना चाहिए। कई व्यवसायों में बहुत अधिक पहले से ही लोग होते हैं और यदि कोई ऐसी परिस्थितियाँ न हों जिनसे उस व्यवसाय में सफलता मिलने की सम्भावना हो तो उन व्यवसाय से दूर ही रहना चाहिए।

व्यवसाय का चुनाव करने के बाद सफलता के दो मूल सिद्धान्त होते हैं। पहला यह है कि हमें अपने काम के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हमें पूर्ण निष्ठा की भावना से उस व्यवसाय की गूढ़ बातों को समझना होगा। हम जीवन में चाहे कोई भी व्यवसाय अपनाएँ, हमें अपने कार्य को सफल बनाने के लिए पूरे जोश और उत्साह से काम करना होगा।

दूसरा, हम उसमें जुट जाएँ और उसके लिए संघर्ष करें। “धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का” इस लोकोक्ति के अनुसार, जो व्यक्ति कहीं भी टिक कर काम नहीं करता उसे सफलता मुश्किल से ही मिलती है अर्थात् स्थायित्व बहुत अनिवार्य होता है। चुनाव ध्यानपूर्वक विचार के बाद ही किया जाना चाहिए और एक बार चुनाव करने के बाद टिक कर काम करना चाहिए।

व्यवसाय का चुनाव प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यधिक महत्त्व का विषय होता है। ठीक चुनाव में उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है, जबकि गलत चुनाव उसके जीवन को सदा के लिए अन्धकारमय बना सकता है, परन्तु एक अनुभवहीन युवक के लिए किसी व्यवसाय के लिए अपनी योग्यताओं या उसमें सफलता की सम्भावनाओं की परिकल्पना करना सम्भव नहीं है। अतः, उसके अभिभावकों और अध्यापकों का यह कर्त्तव्य है कि वे व्यवसाय का चुनाव करने में उसकी सहायता करें।

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