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Posts tagged "कहावत" (Page 9)
कब्र से बोल रहा हूँ Kabra Se Bol Raha Hu कलकत्ता में एक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। मंच पर उपस्थित कवियों में श्री नीरज तथा श्री हरिवंश राय बच्चन भी थे ! नीरज जी ने तो अपने काव्य पाठ से पूर्व भूमिका में कहा-“अब मैं बूढ़ा हो चला हूँ। मृत्यु की छाया का क्षीण आभास होता रहता है। इसी मनोदशा की एक कविता सुनिए, “एक पांव चल रहा अलग-अलग और...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्य देवता Sahitya Devta सन् 1944 में हरिद्वार साहित्य सम्मेलन में माखन लाल चतुर्वेदी सभापति चुने गये। उन्हें हाथी पर बिठाकर जुलूस निकाला गया और चांदी के रुपयों से तौला गया। कुल चार हजार आठ सौ रुपये जमा हुए। अपने इस स्वागत से अभिभूत दादा माखनलाल चतुर्वेदी डा० रामकुमार वर्मा से बोले। “रामकुमार, इस सरस्वती देवी की कृपा तो देखो कि छठी क्लास तक पढ़ा हुआ, नांगल स्कूल का मास्टर आज...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्यकार और राजनीतिज्ञ Sahityakar aur Rajnitigya लखनऊ के एक सम्मेलन में सम्मेलन के संचालक तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा को माला पहनाने लगे तो बहुगुणा जी ने कहा, “मित्र, यह माला पहले अध्यक्ष पंडित सोहन लाल द्विवेदी जी को पहनाई जाए”। द्विवेदी जी ने तुरन्त माइक पर आकर कहा, “बहुगुणा जी, साहित्यकार को आगे न लाओ। राजनीति को ही पहल करने दो। साहित्यकार आगे आ गया तो राजनीति की खाट खड़ी...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिमालय जरा Himalaya Jara असम यात्रा में हिन्दी के कई कवियों के साथ नेपाली जी भी किसी एक डाक बंगले में ठहरे हुए थे। उनके साथ के कवि लालधर त्रिपाठी तथा राहगीर तो रात को किसी तरह सो गये किन्तु नेपाली जी को नींद नहीं आयी। उन्होंने एक बार करवट ली तो पलंग चरमरा उठा। राहगीर जी की नींद खुली तो उन्होंने पूछा, “क्या बात है जी।” “कुछ नहीं”! नेपाली जी...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
एकदा Ekda राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त से एक नेताजी मिले और उन्हें हरिजनोद्धार कार्यक्रमों में भाग लेने व सहयोग देने के लिए प्रेरित करने लगे। उनका उत्साह देखकर, गुप्त जी उनके साथ काम करने के लिए तैयार हो गये। एक रविवार को चाय पर दोनों बैठे, तो मैथिलीशरण गुप्त जी ने उन नेताजी से कहा, “महोदय, आज तो रविवार है, हम आज के दिन फल-फूल के अतिरिक्त कुछ खाते नहीं, दो गन्ने...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिन्दुस्तानी Hindustani एक बार रेलगाड़ी में कहीं जाते हुए निराला जी को पंडित नेहरू दिखाई दे गये। पंडित नेहरू ने उन दिनों भाषा के सम्बन्ध में विचार प्रकट किए थे। उन्होंने हिन्दुस्तानी का समर्थन किया था। निराला जी ने हँसते हुए पंडित नेहरू से कहा, “आप हिन्दी के मेरे शब्दों का हिन्दुस्तानी में अनुवाद कर दें।” इस बात पर नेहरू जी ने लाचारी दिखाई। निराला जी ने कहा, “हमने भी कुछ...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
निर्मल और निराला Nirmla aur Nirala महाकवि निराला और सम्पादक निर्मल जी में अक्सर नोंक-झोंक हुआ करती थी। एक बार निराला जी ने निर्मल जी से कहा, “यह आपने अपने नाम के आगे क्या ‘निर-निर’ लगा रखा है।” निर्मल जी बोले, “आपके नाम के साथ भी तो यही ‘निर’ है। “ निराला जी ने व्यंग्य कसा, “मेरे नाम से ‘निर’ निकाल दो, तो मैं ‘आला’ बन जाऊँगा, लेकिन आपके नाम से...
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December 29, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कवि गंग की निर्भयता Kavi Gang ki Nirbhayata कवि गंग की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई थी। वे बहुत लोकप्रिय भी थे। एक बार बादशाह अकबर ने उन्हें अपने पास बुलाया और कुछ कविताएं सुनाने के लिए कहा; लेकिन कवि गंग की इच्छा न थी। कवि स्वभाव से ही स्वतंत्रताप्रिय और विद्रोही होता है। गंग को बादशाह का तानाशाही आदेश अच्छा न लगा और उन्होंने मना कर दिया। इस पर अकबर...
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