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Posts tagged "Moral Stories" (Page 7)
भूल का दण्ड Bhool Ka Dand एक बार अन्तरायण में शान्ति निकेतन के अध्यापकों की सभा थी, गुरूदेव रवीन्द्र नाथ भी उस सभा में आने वाले थे। अध्यापक खुशी में बातचीत कर रहे थे। गुरूदेव सहसा कक्ष में आए और गम्भीर भाव से कहा, “नेपाल बाबू, आजकल आप काम में बहुत भूलें करते हैं। इसके लिए आपको दण्ड लेना होगा।” गुरूदेव को उस ढंग से बातें करते देख सभी एक दूसरे...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कष्ट मेरे पैर Kasht mere pair गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के पैर में एक बार बिच्छू ने काट लिया था। इधर-उधर से जो सुनता दौड़ा चला आता। कई डॉक्टर भी आये लेकिन गुरूदेव शान्त भाव से मुस्करा रहे थे। वेदना का रंचमात्र भी आभास उनके चेहरे पर नहीं था। उनसे जब पूछा गया, “गुरूदेव आपको क्या कष्ट नहीं है ?” “कष्ट मेरे पैर को है, मुझे नहीं।” सहज उत्तर था।
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मेरे बड़े भाई Mere Bade Bhai एक बार चीन यात्रा के दौरान गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की आम खाने की बहुत इच्छा हुई। मेहमानों ने आम मंगाये तो गुरूदेव बड़ी अभिलाषा से खाने बैठ गये। पर आमों में रेशे बहुत थे और उन्हें चाकू से काटकर खाना भी मुश्किल हो रहा था। गुरूदेव आमों की ढेरी के सामने करबद्ध नमस्कार कर बैठ गए। जब वहाँ उपस्थित लोगों ने उनसे पूछा-“गुरूदेव, यह...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
थाली Thali संतराम (बी०ए०) गवर्नमेंट कालेज, लाहौर में बी०ए० के छात्र थे। एक दिन भोजन कक्ष में भोजन करने बैठे और एक साथी से जानबूझ कर छू गए। वह भी भोजन कर रहा था। बस फिर क्या था ? वह छात्र तो आग-बबूला हो उठा। अपनी थाली वहीं छोड़ते हुए रसोइए से बोला, ‘सांतु, मुझ से छू गया है, मेरी थाली का खर्च इसके नाम लिखना। दुष्ट कहीं का।’ संतराम ने...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
निरुत्तर Niruttar सन् 1958 में ज्योतिषियों के अनुसार बहुत बड़ा बवंडर, वज्रपात होने की आशंका थी। इसका सबसे अधिक प्रभाव मकर राशि पर बताया गया था। डॉ० सम्पूर्णानंद ज्योतिष व संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। वह नेहरू जी के पास गए और उन्हें बताया, आपका नाम ‘ज’ शब्द से आरम्भ होता है, इसलिए आपको विशेष पूजा, अनुष्ठान करना चाहिए। जवाहर लाल जी इन बातों को नहीं मानते थे। उन्होंने डॉ० साहब...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उपमाएँ Upmayen एक बाद हिन्दी साहित्य सम्मेलन में उपन्यासकार गोस्वामी किशोरी लाल के विषय में बोलते हुए प्रेमचन्द जी ने उन्हें ‘उपन्यास साहित्य का पर्वत’ कहा। इस पर हास्य-व्यंग्य के सुप्रसिद्ध लेखक बेढब बनारसी ने अपने एक अखबारी स्तम्भ में चुटीली टिप्पणी की- “उपन्यास सम्राट ने भौगोलिक उपमा दी है। इसी तरह कहा जा सकता है कि हरिऔध काव्य के जंगल है, राय कृष्णदास कला के टापू और श्री सुमित्रानन्दन पंत...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भूख का महत्त्व Bhookh ka Mahatva एक बार महापंडित राहुल सांकृत्यायन अपने मित्र के घर गए। मित्र के घर दो अन्य सज्जन भी ठहरे हुए थे। मित्र ने सभी के लिए खिचड़ी बनाई। खिचड़ी सबसे पहले राहुल जी ने खाई। जब अन्य सज्जनों ने खिचड़ी खाई तो ज्ञात हुआ कि खिचड़ी में नमक बिल्कुल भी नहीं है। सभी को इस बात पर आश्चर्य हुआ कि राहुल जी ने बिना नमक वाली...
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December 31, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आधा दुःख Aadha Dukh सुप्रसिद्ध विद्वान और लेखक राहुल सांकृत्यायन की पत्नी की घड़ी खो गई। वह बहुत दु:खी हुई। उन्हें दुःखी देखकर राहुल सांकृत्यायन ने पूछा- “क्यों, घड़ी कितने की थी ?” पत्नी ने तत्काल उत्तर दिया, ‘अस्सी रुपये की ।’ राहुल सांकृत्यायन ने कुछ विचारते हुए कहा, “अच्छा ! तुम तो जानती हो कि किसी वस्तु को खरीदने के पश्चात् उसका मूल्य आधा रह जाता है। इसलिए तुम...
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