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Posts tagged "Hindi Nibandh" (Page 15)
जीवन-मरण विधि हाथ Jeevan Maran Vidhi Hath प्रस्तावना : मानव स्वयं अपना भाग्य निर्माता है। वह अपनी इच्छानुसार हर कार्य कर सकता है। उसका भविष्य उसकी अपनी मटठी में है। यह धुन पुरातन युग से सुनी जा रहा है। इसी का मनन कर हम कर्मरत हैं। पर इसका फल कौन देता है ? इस पर कभी सोचा नहीं, विचारा नहीं। जब पता चलता है कि फलदाता भगवान् है, इंसान नहीं, तब...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं Paradhin Supnehu Sukh Nahi Best 5 Essays on “Paradhin Sapnehu Sukh Nahi” निबंध नंबर :-01 प्रस्तावना : सामान्यतः मानव अपने जीवन में जो कुछ भी कार्य करता है, उसका एक मात्र उद्देश्य होता है कि वह अपने को सुखी कर सके। अपना विकास कर सके और जितना भी जीवन उसने जीना है उतना स्वाभाविक रूप में जी सके। लेकिन मानव का आदि काल से अब तक का...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
धीरज धर्म मित्र अरु नारी Dheeraj Dharam mitra aru nari आपत्ति काल की अवस्था : आपत्ति काल वह अग्नि युग है, जिसमें सुख-शांति जल कर भस्म हो जाती है, आँखों से नींद काफूर हो जाती है, चित्त में अस्थिरता का साम्राज्य छा जाता है, सुगम से सुगम कार्य दुष्कर प्रतीत होने लगता है, अच्छा, बुरा दीखने लगता है, पाप वृत्ति की ओर हृदय भागने लगता है और बुद्धि भ्रष्ट हो जाती...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय Kami Krodhi Lalachi inse Bhakti na Hoye भक्ति का स्वरूप : भक्ति ईश्वरीय अवस्था में प्रेम प्रदर्शित करने की वह वत्ति है। जिसके होने पर मानव की काम, क्रोध, मोह, लोभ, ईष्र्या आदि कुत्सित भावनाएँ सदैव के उच्चता । लिए लुप्त हो जाती है। भक्त वत्सल अपनी लोकिकता को त्याग कर ईश्वरीय आस्था में मग्न हो जाता है। ऐसा करने वाला इस विश्व...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बरू भल बास नरक करिताता Baru Bhal Baas Narak Karitata व्यवहार का औचित्य, : यह लोक कथा प्रचलित है-पावस के रंग में रंगी हुई शीत निशा में एक बन्दर वृक्ष की शाखा पर ठिठुरा बैठा था। उसी वृक्ष की एक शाखा पर गौरैया का सुन्दर घोंसला था। वह उसमें बैठी बन्दर की अवस्था को निहार रही थी। दयाभाव से सहानुभूति हेतु वह कह उठी, “तुम इतने बुद्धिमान् एवं शक्तिशाली जीव होकर...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जो तोकू काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल Jo Toku Kanta bove Tahi Boye Phool दुष्टता और सज्जनता की सीमा : इस विश्व में दुष्टता ही सज्जनता की कसौटी है; क्योंकि जब दुष्ट अपने कुकृत्यों से सज्जन को चोट पहुँचाता है, तब वह अपनी सहनशीलता से सब हर्जुम कर जाता है और प्रतिशोध की भावना को कभी भी प्रगट नहीं होने देता। इसी कारण से वह समाज में सज्जनता की उपाधि...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय Bura jo Dekhan me chala Bura na Miliya koye निबंध संख्या:- 01 मानव प्रकृति की विभिन्नता : सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा की सर्वोत्कृष्ट रचना है मानव । इनका निर्माण करने से पूर्व ब्रह्मा को बड़ा चिन्तन करना पड़ा होगा; क्योंकि यह प्राण युक्त वह चित्र है जिसमें हृदय एवं मस्तिष्क रूपी दो यन्त्र भी यथास्थान लगाने पड़े होंगे । उसने सोचा होगा...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
निबंध नंबर:-01 मन के हारे हार है मन के जीते जीत Man ke hare haar hai Man ke jite jeet मन की महत्ता दो वर्षों से निर्मित यह छोटा-सा शब्द ‘मन’ सष्टि की सल विचित्र वस्तु है। जितना यह आकार में छोटा है उतना ही इसका हृदय विशाल है। जिस प्रकार छोटे से बीज में विशाल वट का वृक्ष छिपा होता है उसी प्रकार इसमें सारा त्रिभुवन समाया हुआ है। कहने...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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