Home »
Posts tagged "Hindi Grammar" (Page 2)
व्यतिरेक अलंकार Vyatirek Alankar जब कविता में कवि कहें, उपमेय बड़ा और लघु उपमान। गुण विशेष के कारण तब, व्यतिरेक अलंकार को पहचान। परिभाषा – जब काव्य में गुण विशेष के कारण उपमेय (जिसका वर्णन किया जा रहा हो) को ही उपमान (जिससे तुलना की जा रही हो) से बड़ा बताया जाये, तो वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है। स्वर्ग की तुलना, उचित ही है यहाँ, किंतु सुरसरिता कहाँ, सरयु कहाँ?...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विभावना अलंकार Vibhavna Alankar न हो कारण जहाँ और, कार्य फिर भी संपन्न हो । या दिखे विपरीत कार्य तो, विभावना ही उत्पन्न हो। परिभाषा – जहाँ कारण के बिना या कारण के विपरीत कार्य की उत्पत्ति का वर्णन किया जाये, वहाँ विभावना अलंकार होता है। बिनु पद चलै, सुने बिनु काना, कर बिनु करम करै विधि नाना। आनन-रहित सकल रस भोगी, बिनु बानी बकता बड़ जोगी ।। चलना, सुनना, करना...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
व्याजनिंदा अलंकार Vyanjninda Alankar बहाना हो निंदा का, समझत में स्तुति हो । व्याजनिंदा अलंकार की, बस वहीं प्रस्तुति हो । परिभाषा – जब कविता में इस तरह, वर्णन किया गया हो कि वह देखने पर प्रशंसा लगे किंतु वास्तव में वह निंदा हो, तो वहाँ पर व्याजनिंदा अलंकार होता है। जैसे- तुम तो सखा श्याम सुंदर के, सकल जोग के ईस। सूर हमारे नंदनंदनु बिनु, और नहीं जगदीस। गोपियाँ...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
व्याजस्तुति अलंकार Vyanjstuti Alankar देखत की निंदा लगे, स्तुति का होय बहाना। व्याजस्तुति अलंकार वहीं, बंधु तुरंत बताना। व्याज शब्द का अर्थ है बहाना और स्तुति का अर्थ है प्रशंसा करना। परिभाषा – जब कविता में एक तरह का चित्रण हो कि देखने पर वह निंदा जैसा प्रतीत हो, परंतु निंदा के बहाने किसी की प्रशंसा की जा रही तो वहाँ पर व्याज स्तुति अलंकार होता है। निशि दिन पूजा करत...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अन्योक्ति अलंकार Anyokti Alankar लक्ष्य कोई और हो, और चले कोई बात । अन्योक्ति अलंकार तभी, कविता में कहलात। अन्योक्ति का अर्थ है – अन्य उक्ति। अर्थात् अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत का बोध कराना। जब किसी वस्तु या व्यक्ति को सम्बोधित करके कोई बात कही जाती है, परन्तु वास्तविक लक्ष्य कोई अन्य व्यक्ति होता है, तो ऐसी उक्ति को अन्योक्ति कहा जाता है। स्वारथ, सुकृत न, श्रम वृथा; देखु बिहंग!...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अतिशयोक्ति अलंकार Atishyokti Alankar अतिशयोक्ति का सन्धि विच्छेद करने पर दो पद प्राप्त होते हैं – अतिशय + उक्ति अर्थात् बढ़ाचढ़ाकर बातें करना। जब लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी वस्तु या विषय का वर्णन किया जाय, जिससे वह वर्णन अधिक प्रभावशाली और चमत्कारपूर्ण बन जाय, तो उस उक्ति को अतिशयोक्ति (बढ़ा-चढ़ाकर जो कि वास्तव में असम्भव हो) कहते हैं। इसमें लोक मर्यादा का उल्लंघन होता है। जैसे- यह शर इधर...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उत्प्रेक्षा अलंकार Utpreksha Alankar उत्प्रेक्षा का अर्थ है – सम्भावना या कल्पना। जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त किये जाने से चमत्कार प्रकट हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। संभावना का भाव प्रकट करने के लिये जनु, मनु, मानो आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार में एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार के वाचक शब्द हैं- मानो, मनु, मनहुँ, जानो,...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रूपक अलंकार Rupak Alankar जब उपमेय में उपमान का आरोप किया जाय, तो रूपक अलंकार होता है। उपमान का आरोप करने का अर्थ यह है कि उपमेय के रूप में उपमान स्वयं उपस्थित हो। इस प्रकार उपमेय (जो कि वास्तव में उपमान से कुछ हीन ही होता है) को इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, मानो उसने उपमान के सब गुण- रूप-कर्म स्वयं प्राप्त कर लिये हैं। सामान्य भाषा में अनेक रूपक...
Continue reading »
July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
Page 2 of 6« Prev
1
2
3
4
5
6
Next »