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Hindi Essay on “Saksharta Kyo Avashyak Hai?” , ”साक्षरता क्यों आवश्यक है?” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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साक्षरता क्यों आवश्यक है? Saksharta Kyo Avashyak Hai? आज शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। पूर्ण शिक्षा न भी सही, क्योंकि महंगी और विषम परिस्थितियों वाले युग में वह सभी के लिए शायद संभव भी नहीं, पर कम से कम साक्षर तो सभी हो ही समते हैं। अर्थात अक्षर-ज्ञान पाकर अपना काम तो सभी चला ही सकते हैं। इतना पढऩा-लिखना सीखना तो आज हर आदमी के लिए बहुत ही...
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Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi” , ”आदर्श विद्यार्थी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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आदर्श विद्यार्थी Adarsh Vidyarthi   मनुष्य का जीवन संसार में सबसे अच्छा, ऊंचा और आदर्श माना जाता है। सामान्य रूप से इस मनुष्य जीवन के चार भाग या अवस्थांए मानी गई हैं। शैशव के सुकुमार क्षण बीतते विद्यार्थी-जीवन का आरंभ हो जाया करता है, जिसे मनुष्य जीवन की सबसे बढक़र अच्छी और आदर्श अवस्था स्वीकार किया गया है। लेकिन दुख एंव खेद के साथ मानना और कहना पड़ता है कि आज...
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Hindi Essay on “Adhyan Ke Labh” , ”अध्ययन के लाभ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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अध्ययन के लाभ  Adhyan Ke Labh  मनुष्य स्वभाव से ही अध्ययनशील प्राणी माना गया है। ‘अध्ययन’ शब्द का अर्थ है-पढऩा। अध्ययन या पढऩे के मुख्य दो रूप स्वीकारे जाते हैं – एक, विशेष अध्ययन, जो किसी विशेष विषय या विशेष प्रकार की पुस्तकों तक ही सीमित हुआ करता है। दूसरा, सामान्य अध्ययन, जो सभी प्रकार के विषयों और पुस्तकों के साथ-साथ पत्र-पत्रिकांए तथा व्यापक जीवन के प्रत्येक पक्ष पढऩे तक विस्तृत...
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Hindi Essay on “Pustkalay Aur Mahatav” , ”पुस्तकालय और महत्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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पुस्तकालय और महत्व Pustkalay Aur Mahatav पुस्तकाल, अर्थात पुस्तकों का विशाल संग्रह या घर। पुस्तकों के आगार या भंडार को, या फिर उस स्थान विशेष को कि जहां अनेक विषयों से संबंधित सभी प्रकार की पुस्तकें एकत्रित या संकलित रहती है। परिभाषित प्रचलित शब्दावली में पुस्तकालय कहा जाता है। इस प्रकार हम किसी अच्छे पुस्तकालय को युग-युगों के संचित ज्ञान का भंडार भी कह सकते हैं। क्योंकि युग-युगों से मनुष्य जो...
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Hindi Essay on “Prodh Shiksha” , ”प्रौढ़ शिक्षा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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प्रौढ़ शिक्षा Prodh Shiksha  निबंध नंबर : 01  संसार एक   खुली पाठशाला है और उसमें हर व्यक्ति शिक्षार्थी है। वह इसलिए कि शिक्षा मनुष्य को सत्य की पहचान कर पाने में समर्थ ज्ञान की आंख प्रदान करती है। वासतविक शिक्ष्ज्ञा हमारी सोई शक्तियों को जगाकर उन्हें कार्य रूप में परिणत करने की क्षमता और प्रेरणा भी प्रदान करती है। यों भारतीय मनीषियों के मत में आयु-विभाग के पहले 25 वर्ष शिक्षा...
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Hindi Essay on “Ganv me Shiksha ” , ”गांवों में शिक्षा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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गांवों में शिक्षा Ganv me Shiksha  गांव भारतीय सभ्या-संस्कृति की रीढ़ और परंपरागत केंद्र रहे हैं। आज बीसवीं सदी के इस अंतिम चरण में भी भारत को गांव-संस्कृति और कृषि-प्रधान देश ही माना जाता है। वास्तव में विशुद्ध भारतीय सभ्यता-संस्कृति का जन्म आश्रमों, बनों और गांवों में ही हुआ है। आज भी उस सभ्यता-संस्कृति के जो थोड़े-बहुत अंश बचे हुए या सुरक्षित कहे जा सकते हैं, वे गांवों में ही दिखाई...
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Hindi Essay on “Shiksha Ka Madhyam” , ”शिक्षा का माध्यम” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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शिक्षा का माध्यम Shiksha Ka Madhyam माध्यम का अर्थ होता है वह साधन या ढंग, जिसको अपनाकर कोई व्यक्ति या हम कुछ ग्रहण करते हैं। शिक्षा के माध्यम पर विचार करने से पहले उसका उद्देश्य जान लेना आवश्यक है। मनुष्य की सोई और गुप्त शक्तियों को जगाना, उन्हें सही दिशा में प्रयुक्त कर सकने की क्षमता प्रदान करना ही शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य और महत्व हुआ करता है। अपने इस महत्वपूर्ण...
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Hindi Essay on “Shiksha Aur Priksha” , ”शिक्षा और परीक्षा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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शिक्षा और परीक्षा Shiksha Aur Priksha  शिक्ष, यानी कुछ सीखकर उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का मार्ग प्रदर्शित करने वाला माध्यम। इस दृष्टि से शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य और प्रयोजन होता है, व्यक्ति की बुद्धि, सूझ-बूझ, छिपे गुणों और कार्य-क्षमताओं को विकास को उचित आयाम प्रदान करना। ऐसा शिक्षा के द्वारा संभव हो सका है कि नहीं, यह देखने-जानने के लिए परीक्षा का असंदिज्ध महत्व भी एक सीमा तक स्वीकार किया जा सकता...
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