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Posts tagged "Hindi essays" (Page 141)
धीरज धर्म मित्र अरु नारी Dheeraj Dharam mitra aru nari आपत्ति काल की अवस्था : आपत्ति काल वह अग्नि युग है, जिसमें सुख-शांति जल कर भस्म हो जाती है, आँखों से नींद काफूर हो जाती है, चित्त में अस्थिरता का साम्राज्य छा जाता है, सुगम से सुगम कार्य दुष्कर प्रतीत होने लगता है, अच्छा, बुरा दीखने लगता है, पाप वृत्ति की ओर हृदय भागने लगता है और बुद्धि भ्रष्ट हो जाती...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय Kami Krodhi Lalachi inse Bhakti na Hoye भक्ति का स्वरूप : भक्ति ईश्वरीय अवस्था में प्रेम प्रदर्शित करने की वह वत्ति है। जिसके होने पर मानव की काम, क्रोध, मोह, लोभ, ईष्र्या आदि कुत्सित भावनाएँ सदैव के उच्चता । लिए लुप्त हो जाती है। भक्त वत्सल अपनी लोकिकता को त्याग कर ईश्वरीय आस्था में मग्न हो जाता है। ऐसा करने वाला इस विश्व...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बरू भल बास नरक करिताता Baru Bhal Baas Narak Karitata व्यवहार का औचित्य, : यह लोक कथा प्रचलित है-पावस के रंग में रंगी हुई शीत निशा में एक बन्दर वृक्ष की शाखा पर ठिठुरा बैठा था। उसी वृक्ष की एक शाखा पर गौरैया का सुन्दर घोंसला था। वह उसमें बैठी बन्दर की अवस्था को निहार रही थी। दयाभाव से सहानुभूति हेतु वह कह उठी, “तुम इतने बुद्धिमान् एवं शक्तिशाली जीव होकर...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जो तोकू काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल Jo Toku Kanta bove Tahi Boye Phool दुष्टता और सज्जनता की सीमा : इस विश्व में दुष्टता ही सज्जनता की कसौटी है; क्योंकि जब दुष्ट अपने कुकृत्यों से सज्जन को चोट पहुँचाता है, तब वह अपनी सहनशीलता से सब हर्जुम कर जाता है और प्रतिशोध की भावना को कभी भी प्रगट नहीं होने देता। इसी कारण से वह समाज में सज्जनता की उपाधि...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय Bura jo Dekhan me chala Bura na Miliya koye निबंध संख्या:- 01 मानव प्रकृति की विभिन्नता : सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा की सर्वोत्कृष्ट रचना है मानव । इनका निर्माण करने से पूर्व ब्रह्मा को बड़ा चिन्तन करना पड़ा होगा; क्योंकि यह प्राण युक्त वह चित्र है जिसमें हृदय एवं मस्तिष्क रूपी दो यन्त्र भी यथास्थान लगाने पड़े होंगे । उसने सोचा होगा...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
निबंध नंबर:-01 मन के हारे हार है मन के जीते जीत Man ke hare haar hai Man ke jite jeet मन की महत्ता दो वर्षों से निर्मित यह छोटा-सा शब्द ‘मन’ सष्टि की सल विचित्र वस्तु है। जितना यह आकार में छोटा है उतना ही इसका हृदय विशाल है। जिस प्रकार छोटे से बीज में विशाल वट का वृक्ष छिपा होता है उसी प्रकार इसमें सारा त्रिभुवन समाया हुआ है। कहने...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सबै दिन जात न एक समान Sabe din jaat na ek saman प्रस्तावना : जब हम यह कहते हैं कि सबै दिन समान नहीं होते तो हमारा तात्पर्य होता है कि व्यक्ति हर दिन एक-सी दशा में नहीं रहता और उसके दिनों में परिवर्तन होता रहता है। दिनों की परिवर्तनशीलता : हेमन्त आता है सुमनों की क्यारियाँ, तुषार आघात से झुलस जाती हैं। वृक्ष पुष्प-पत्र हीन होकर करुण उच्छ्वास लेने...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अधिकार नहीं, सेवा शुभ है Adhikar nahi sewa shubh hai प्रस्तावना : सेवा मानव हृदय में जीवोपकार की पावन भावना भरकर उसे दीन-हीन प्राणियों की पीड़ा दूर करने को प्रेरित करती है और अधिकार मनुष्य को दूसरों पर शासन करने तथा आज्ञा पालन कराने का अधिकार देता है। सेवा की प्रेरणा से मानव हृदय में निष्काम-कर्म भावना की जागृति होती है और मनुष्य दयार्द्र, गद्गद् हृदय, छल-छल पुतलियों, शुभचिन्तनापूर्ण इच्छाओं, कुशलक्षेम...
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April 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment