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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 47)
निन्यानवे का फेर Ninyanave ka pher एक बनिया और बढ़ई दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी थे। बनिया नगर का जाना-माना सेठ था। उसका लाखों का कारोबार फैला हुआ था। सेठ की कई एकड़ जमीन में खेती होती थी। गेहूं, सरसों और घी के गल्लामंडी में गोदाम थे। बहुत-से नौकर-चाकर थे। ब्याज का पैसा आता था सो अलग। लाला रात-दिन पैसे जोड़ने में लगा रहता। एक-एक धेले का हिसाब रखता था। उसे कोई...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जान बची, लाखों पाए Jaan bachi, lakho paye एक रियासत में एक नाई और एक पंडित बहुत चालाक और मक्कार किस्म के थे। इनकी मक्कारी से वहां का राजा भी परेशान था। उनसे छुटकारा पाने के लिए राजा ने एक उपाय सोचा। राजा ने नाई और पंडित से अपनी लड़की के लिए एक रियासत में राजकुमार को देखने के लिए कहा। उस रियासत तक पहुंचने के लिए जंगल से होकर रास्ता...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
एक से बढ़कर एक Ek se badhkar ek एक था सुनार और एक था अहीर। दोनों के चोरों और ठगों से संबंध थे। चोरी और लूट का सामान खरीदने और बिकवाने में इन दोनों का हाथ रहता था। कुछ दिनों बाद इन दोनों में मित्रता हो गई थी। कभी-कभार एक-दूसरे के यहां आते-जाते, तो मेहमानों जैसी खातिरदारी होती। चोरों का माल न आने से दोनों का काम ठप्प-सा हो गया था।...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अंधेर नगरी चौपट राजा Andher nagri chopat raja दो साधु एक तीर्थयात्रा पर निकले। इनमें एक गुरु था और एक चेला। वापस लौटते समय उन्हें रास्ते में एक नगर मिला। दिन डूबने में डेढ़-दो घंटे बाकी थे। कुछ थकान भी थी, इसलिए आराम करने के लिए वहीं रुक गए। गुरु ने सामान लाने के लिए चेले को बाजार भेज दिया और खुद खाना बनाने की जुगाड़ में लग गए। गुरु...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जिसकी लाठी, उसकी भेंस Jiski lathi, uski bhains नदी पार करते ही जंगल का रास्ता शुरू हो जाता था। आगे-आगे भैंस चली जा रही थी, पीछे-पीछे पंडित जी। चलते-चलते पंडित सोचता भी जा रहा था कि जमींदार के यहां पहली संतान हुई थी, वह भी लड़का। बड़ी धूम-धाम से मनाया था लड़के का जन्मदिन। जमींदार के वंश की आगे की परंपरा खुल गई थी। जमींदार के यहां पांच भैंस थीं। आज...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मन चंगा, तो कठौती में गंगा Man changa, to kathoti me Ganga रैदास जूते गांठकर अपनी जीविका कमाते थे। सड़क पर जगह बना ली थी, जहां पर बैठकर रोजाना जूते गांठा करते थे। काशी जाने वाले लोग इसी सड़क से होकर जाया करते थे। साधु, संत आदि जो भी लोग गंगास्नान के लिए जाते थे, इधर से होकर ही निकलते थे। रैदास को उनका दर्शन लाभ होता था और उनके जूते...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बीरबल की खिचड़ी Birbal ki Khichdi पौष के महीने में शाम के समय कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। पक्षियों के झुंड-के-झुंड अपने-अपने बसेरों की ओर उड़ते जा रहे थे। अकबर बादशाह छत पर खड़े-खड़े यह सब देख रहे थे। आज उनके साथ बीरबल भी मौजूद थे। यमुना की लहरों को छूते हुए हवाओं के ठंडे झोंके आते और दोनों को ठंडा करते हुए निकल जाते। दोनों ही नगर की जनता...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जो हल जोते खेती वाकी, और नहीं तो जाकी ताकी Jo hal jote kheti vaki, aur nahi to jaki taki तालाब के किनारे एक मंदिर था। एक जमींदार मंदिर के चबूतरे पर बैठा-बैठा कुछ सोच रहा था। आमदनी ‘घटती जा रही थी। सभी खेत आध-बटाई पर दे रखे थे। बिना हाथ-पैर चलाए लगभग आधी फसल का अनाज मिल जाता था। उसने खुद तो कभी हल की मूंठ तक नहीं पकड़ी थी।...
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July 5, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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