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Posts tagged "कहावत" (Page 2)
अपराधो हि दंडनीयम् Apradho hi Dandniyam पाँचों पांडवों की पत्नी एक ही (द्रौपदी) होने के कारण उन्होंने आपस में यह नियम बना लिया था कि जब वह उनमें से किसी एक के साथ हो, तो अन्य चार भाइयों में से कोई भी वहाँ न जाए, अन्यथा नियम-भंग करने के कारण उसे बारह वर्ष का वनवास भोगना होगा। एक बार एक ब्राह्मण अर्जुन के पास आया और बोला कि एक चोर उसकी...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दया धर्म का मूल है Daya Dharam ka Mool hai पिता ने बालक को पैसे देकर बाजार से फल लाने को कहा। उसे रास्ते में कुछ लोग ऐसे दिखाई दिए, जिनके बदन पर पूरे वस्त्र भी न थे और जिनके चेहरों से साफ दिखाई देता था कि उन्हें बहुत दिनों से भोजन नसीब नहीं हुआ है। बालक का हृदय पसीज उठा और उसने पैसे बाँट डाले। इससे उसे बड़ा ही आत्मसंतोष...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बुरा जो देखन मैं चला Bura jo dekhan mein chala शेख सादी बचपन में पढ़ने में बड़े तेज थे और कक्षा में उनका हमेशा पहला नंबर रहता था। एक दिन उन्होंने अपने शिक्षक से शिकायत की, “उस्तादजी! मेरा जमाती मुझसे जलता है। जब मैं ‘हदीस’ के मुश्किल शब्दों का आसान मतलब निकालता हूँ, तो वह मुझसे जल जाता है। अगर उसकी यही हालत रही, तो सचमुच उसे नरक ही मिलेगा।” उस्ताद...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मन की शुद्धि Mann ki Shudhi एक युवक संसार से विरक्त हो फिलस्तीन के संत मरटिनियस के पास आया और बोला, “भगवन्! मैं आपकी सेवा में आ गया हूँ। कृपया मुझे आश्रय दें।” संत बोले, “जाओ, पहले शुद्ध होकर आओ।” युवक स्नान करने गया। संत ने एक भंगिन को बुलाकर युवक के आने पर इस प्रकार झाड़ू लगाने को कहा, जिससे धूल युवक के शरीर पर उड़े। भंगिन ने वैसा ही...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
झूठे रिश्ते Jhuthe Rishte एक बार इटली के संत फ्रांसिस के पास एक सत्संगी युवक आया। संत ने उससे हाल-चाल पूछा, तो उसने स्वयं को अत्यंत सुखी बताया ! वह बोला, “मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों पर बड़ा गर्व है। उनके व्यवहार से मैं संतुष्ट हूँ।” संत बोले, “तुम्हें अपने परिवार के प्रति ऐसी धारणा नहीं बनानी चाहिए। इस दुनिया में अपना कोई नहीं होता। जहाँ तक माँ-बाप की सेवा...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अपरिग्रह Aparigrah फारस के संत अपुरायन सीरिया में बस गए थे और एक छोटी-सी झोंपड़ी में वास करते थे। उनका रहन-सहन अत्यंत सादगीपूर्ण था । रूखी-सूखी रोटी उनका भोजन था और चटाई उनका बिस्तर। दिन-रात भगवत्-चिंतन में लगे रहते । एक बार सीरिया का राजकुमार उनसे मिलने आया। वे जब झोंपड़ी से बाहर आए, तो उसने उन्हें प्रणाम किया और कीमती वस्त्र भेंट किए। यह देख संत बोले, “राजकुमार ! यदि...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दिव्य शिक्षा Divya Shiksha मिस्र के संत जू-उल-नून एक बार वुजू करने के लिए एक नहर के पास गए। सामने से एक सुंदर स्त्री आ रही थी। वे वुजू करते-करते उसकी ओर देखने लगे। जब वह पास आई, तो उन्होंने महसूस किया कि वह स्त्री उनसे कुछ कहना चाहती है। आखिर उन्होंने पूछ ही लिया, “क्या तुम कुछ कहना चाहती हो?” “हाँ! जू-उल-नून!” वह स्त्री बोली, “मैं जब इधर आ रही...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वर्ग और नरक Swarg aur Narak एक बार जापान के संत हाकुइन के पास एक सैनिक आया और उसने प्रश्न किया, “महाराज ! स्वर्ग और नरक अस्तित्व में है या केवल उनका हौवा बना दिया गया है?” हाकुइन ने उसकी ओर आपादमस्तक देखकर पूछा, “तुम्हारा पेशा क्या है?” “जी, मैं सिपाही हूँ।” उसने उत्तर दिया। संत ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “क्या कहा, तुम सिपाही हो! मगर चेहरे से तो...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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