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Posts tagged "अनुछेद"
मानवाधिकार Manavadhikar जर्मनी में नाजीवाद पहले साम्यवादी माने जाते थे और मै कुछ नहीं बोला क्योंकि में एक साम्यवादी नहीं था। फिर उन्हें यहूदी कहा गया तब भी मैं नहीं बोला क्योंकि में एक यहदी भी नहीं था। फिर उन्हें श्रमिक संघी कहा गया। तब भी में नहीं बोला क्योंकि में श्रमिक संघी भी नहीं था। फिर उन्हें रोम के ईसाई कहा गया तब भी मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं...
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March 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
घरेलू हिंसा Gharelu Hinsa “पत्नी, दुर्भाग्यवश चाहे कितने भी निष्ठुर अथवा क्रूर पति के साथ विवाह बंधन में बंधी हो, हालांकि वह यह जानती हो कि उसका पति उससे नफरत करता है, हालांकि पति को उसे यातना देने में प्रतिदिन आनंद आता हो, फिर भी पत्नी उससे घृणा न करना असंभव समझती हो- वह उससे कुछ भी दावा कर सकता है तथा मानव को दी जाने वाली निकष्टतम यातनाएं उसे...
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March 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत की एकता और अखंडता Bharat ki Ekta aur Akhandta भारत के प्रत्येक राज्य के रहन-सहन के अपने अपने तौर-तरीके हैं। इसमें रहने वाले विभिन्न समुदायों में अत्यधिक विभिन्नता है। इनमें एक-दूसरे से अपनी घरेलू व्यवस्थाओं, खान-पान, पहनावे, सामाजिक परिपाटियों और वर्ष के विभिन्न मौसमों तथा जन्म, विवाह और मृत्यु के समय मनाए जाने वाले अनुष्ठाना में व्यापक विभिन्नता है। यहां हिन्दु धर्म, सिक्ख धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, पारसी धर्म,...
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March 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सच्चा धर्म और मानवता Saccha Dharm aur Manavta मानव इतिहास की विशेष तौर पर एक दुःखदायी वास्तविकता यह है कि संघर्ष धर्म के नाम पर ही हुए हैं। आज भी धर्म के दुरूपयोग, धर्मान्धता और घणा को बढ़ावा देने के परिणामस्वरूप लोग मारे जाते हैं, उनके समुदायों का विध्वंस किया जाता है और समाजों को विखंडित किया जाता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि समकालीन विश्व की समस्यायें और संत्रास किसी...
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March 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आपदा प्रबंधन प्रणाली Aapda Prabandhan Pranali भारत को विश्व के सर्वाधिक आपदा संभावित देशों में से एक समझा जाता है। सूखे, बाढ़, भूकंप तथा चक्रवात से प्रायः इस देश की अपार क्षति होती है और ये नियंत्रण से बाहर होते जा रहे हैं, इनकी बारंबारता बढ़ती ही जा रही है और ये अधिकाधिक क्षति, अशक्तता, रोग तथा मौत का कारण बन गए हैं। और इस तरह इनके कारण पहले से ही...
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March 8, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत और वैश्वीकरण Bharat aur Veshvikaran वैश्वीकरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम थियाडोर लेविट द्वारा वर्ष 1985 में ऐसे अपार परिवर्तनों के चरित्र चित्रण हेतु किया गया था जो विगत दो-तीन दशकों के दौरान अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में हुए हैं। इन परिवर्तनों में उत्पादन क्षेत्र में हुए तीन और व्यापक आर्थिक तथा वित्तीय परिवर्तन; आर्थिक और वित्तीय उदारीकरण, दोनों, के परिणामस्वरूप वैश्विक उपयोग तथा निवेश; अवसंरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम और अर्थव्यवस्था में राज्य की...
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March 2, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नई वैश्विक व्यवस्था और भारत Nayi Veshvik Vyavastha aur Bharat इस समय जबकि इराक आक्रमण के पश्चात हर तरह की वैश्विक व्यवस्था संकट में प्रतीयमान है और अमेरीका सभी विश्वव्यापी विरोधी पक्षों तथा राष्टों को कुचलने की नीति की ओर अग्रसर है, विश्व के प्रत्येक भागों के व्यक्तियों को एक सामंजस्यपूर्ण तथा प्रभावी वैश्विक व्यवस्था के बारे में अपने दृष्टिकोण पर पुनः विचार करना होगा एवं इसे पुनः व्यवस्थित करना...
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March 2, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आधुनिकतावाद और परंपरा Aadhuniktawad aur Parampara भारत की आधुनिकता एक दोधारी तलवार सिद्ध हई है। एक ओर, प्रगति से असंख्य लोगों के जीवन-स्तर में सुधार आया है। दूसरी ओर, इससे सांस्कृतिक वातावरण पर विध्वंसक प्रभाव पड़ा है। यह सच है कि कुछ आधुनिकतावादी यह दलील दे सकते हैं कि आधुनिकतावाद, जो वैयक्तिक तर्कणा तथा स्वायत्तता को गौरवान्वित करता है और इसलिए यह प्रचलित सामाजिक व्यवस्था तथा सत्ता को चुनौती देता है,...
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March 2, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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