Sanskrit Diwas “संस्कृत दिवस” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.
संस्कृत दिवस (Sanskrit Diwas)
प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार भी आता है।
संस्कृत दिवस का महत्त्व (Importance of Sanskrit Day)
संस्कृत भारत की सर्वाधिक प्राचीन भाषा मानी जाती है। इसे समस्त भाषाओं की जननी कहा जाता है। देववाणी का सम्मान भी इसी भाषा को प्राप्त है। विश्व साहित्य की प्रथम पुस्तक इसी भाषा में लिखा गया दैदीप्यमान रत्न है।
भारतीय संस्कृति का गूढ़ रहस्य इसी भाषा में निहित है। संस्कृत के अध्ययन के बिना भारतीय संस्कृति का विशद और पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना असम्भव है। संस्कृत भाषा का साहित्य, अनेकों अमूल्य ग्रन्थ रत्नों का सागर है। इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन शक्ति कुण्ठित नहीं हुई है। इसका धातु पाठ नित्य नए शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है, जबकि दूसरी किसी प्राचीन भाषा में ऐसा सामर्थ्य नहीं है।
पाश्चात्य विद्वान इसके अतिशय और विपुल साहित्य को देखकर हैरान है। उन लोगों ने वैज्ञानिक ढंग से इसका अध्ययन किया। भारत की अमूल्य धरोहर चारों वेद, गीता, उपनिषद्, पुराण एवं विभिन्न संहिताएँ, सब देववाणी में उपलब्ध हैं। समस्त भारतीय भाषाओं को जोड़ने वाली संस्कृत है। हजारों वर्ष विक्रम पूर्व से लेकर बारहवीं शताब्दी तक यह भारत की सर्वसाधारण बोलचाल की भाषा रही है।
प्रतिवर्ष वा पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। संस्कृत भाषा के प्रचारह प्रसार में योगदान हेतु संस्कृत के विद्वानों का सुख दिन सम्मान किया जाता है। जगह-जगह गोष्ठियों, सम्मेलन एवं संवित सम्भदशिविरों का आयोजन किया जाता है। महाकवि कालिदास इस भाषा के महान कवि थे।