Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Sandeh Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | सन्देह अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
Sandeh Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | सन्देह अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
सन्देह अलंकार
Sandeh Alankar
जब उपमेय और उपमान में समान दृश्यता के कारण को देखने पर उपमेय का भ्रम हो, तो भ्रान्तिमान अलंकार होता है। भ्रांतिमान के द्वारा जो भ्रम होता है, वह क्षणिक होता है। जैसे-
दायाँ हाथ लिए था सुरभित,
चित्र – विचित्र सुमन माला ।
टाँगा धनुष कि कल्प लता पर,
मनसिज ने झूला डाला।
भ्रांतिमान और संदेह में यह अंतर है कि संदेह में संदेह बना रहता है, जबकि भ्रांतिमान में संदेह प्रतीति बन जाता है।