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Salesh Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | श्लेष अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

श्लेष अलंकार

Salesh Alankar

alankar and rasa

एक ही शब्द में छुपे रहें,

कई-कई उनके अर्थ ।

चिपका हुआ श्लेष है,

और नहीं कोई शर्त |

श्लेष शब्द का अर्थ है – चिपका हुआ।

परिभाषा – जब काव्य में किसी एक शब्द का इस तरह प्रयोग किया जाये कि उसमें अनेक अर्थ हुए हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे –

सुबरन को खोजत फिरैं, कवि व्याभिचारी चोर।

यहाँ पर सुबरन का अर्थ कवि के लिए अच्छा वर्ण, व्याभिचारी के लिए सुन्दर स्त्री और चोर के लिए सोने या स्वर्ण से लगाया जा सकता है। अतः यहाँ एक शब्द के कई अर्थ होने से श्लेष अलंकार है।

श्लेष के दो प्रकार होते हैंअभंगपद श्लेष और सभंग पद  श्लेष।

अभंगपद श्लेष जहाँ क्लिष्ट शब्द को बिना तोड़े हुए एक से अधिक अर्थ निकलें, वहाँ अभंग श्लेष अलंकार होता है। जैसे

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।

यहाँ पानी के अनेक अर्थ हैं। यहाँ मोती की दृष्टि से पानी का अर्थ है चमक, मनुष्य की दृष्टि से इज्जत; चूने की दृष्टि से जल। इसलिये यहाँ श्लेष अलंकार है।

उदयाचल से बाल-हँस फिर,

उड़ता अम्बर में अवदात,

फैल स्वर्ण-पंखों से हम भी

करते द्रुत मारुत से बात।

यहाँ बाल-हँस के दो अर्थ हैं-  1. नवोदित सूर्य और 2. हंस पक्षी का शावक।

रावण सिर- सरोज-वनचारी ।

चली रघुवीर – शिलीमुख धारी।

यहाँ शिलीमुख के दो अर्थ हैं – 1. सरोज या कमल के सन्दर्भ में भ्रमर और 2. रावण के सिर के सन्दर्भ में बाण।

मंगन को देखि पट देत बार-बार है।

यहाँ पट के दो अर्थ हैं – वस्त्र और किवाड़।

चाहन हार सुवर्ण के कविजन और सुनार।

यहाँ सुवर्ण का अर्थ कविजन की दृष्टि से सुंदर वर्ण और सुनार की दृष्टि से सोना है। इसलिये यहाँ श्लेष अलंकार है।

प्रियतम बतला दो, लाल मेरा कहाँ है।

यहाँ लाल के दो अर्थ हैं – एक ‘प्रिय पुत्र’ और दूसरा ‘मणि’। अतः श्लेष अलंकार है।

सभंगपद श्लेष – जहाँ क्लिष्ट शब्द को तोड़कर एक से अधिक अर्थ निकाले जावें, वहाँ सभंग श्लेष अलंकार होता है। जैसे

चिर जीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर ।

को घटि, वे वृषभानजा वे हलधर के वीर।

यहाँ वृषभानजा – वृषभानजा (पुत्री), वृषभ + अनुजा (बहिन) – गाय और हलधर – बलदाऊ, हलधर हल को धारण करने वाले – बैल

श्लेष और यमक में अंतर

श्लेष में शब्द विशेष का प्रयोग एक बार होता है किंतु उसके अर्थ अनेक होते हैं। यमक में शब्द की आवृत्ति एक से अधिक बार भिन्न-भिन्न अर्थों में होती है। यमक में जितने बार शब्दों की आवृत्ति होगी, उसके उतने ही अर्थ होंगे।

लाटानुप्रास और यमक में अंतर

लाटानुप्रास में आवृत्ति होती है, पर अर्थ से कोई प्रयोजन नहीं होता। यमक में शब्द की आवृत्ति एक से अधिक बार भिन्न-भिन्न अर्थों में होती है। यमक में जितने बार शब्दों की आवृत्ति होगी, उसके उतने ही अर्थ होंगे।

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