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Railway Station ka Drishya “रेलवे स्टेशन का दृश्य” Hindi Essay 250 Words for Class 10, 12.

रेलवे स्टेशन का दृश्य

Railway Station ka Drishya

रेलवे स्टेशन का दृश्य बहुत रोचक होता है। परन्तु उस दिन मैंने एक बिल्कुल असाधारण दृश्य ‘देखा। एक तूफानी रात थी और मूसलाधार वर्षा हो रही थी। बिजली गुल हो गई थी और प्लेटफार्म पर सभी तरफ अन्धेरा था। मेरी माताजी तूफान एक्सप्रेस से आने वाली थीं। गाड़ी के आने का ठीक समय प्रातः काल 2 बजे था। इसलिए मैं एक घण्टा पहले स्टेशन पर पहुँच गया था।

उस समय प्लेटफार्म पर कोई नहीं था। किताबों की दुकान बन्द थी। कोई और माल बेचने वाला भी दिखाई नहीं देता था। यहाँ तक कि कुली भी घर चले गये थे। रेल के ऊपर के पुल पर भयानक सन्नाटा था।

प्लेटफार्म 3 पर दो या तीन माल गाड़ियाँ खड़ी थीं। चारों ओर सन्नाटा था जो इंजिन की सीटियों से प्रायः टूट जाता था। कुछ बोरे और गठरियाँ प्लेटफार्म पर पड़ी थीं। दो-तीन कुत्ते इधर-उधर घूम रहे थे। उस समय वे भी बहुत भयानक प्रतीत हो रहे थे। मैं बार-बार उस दिशा की ओर देखता जा रहा था जिस ओर से गाड़ी को आना था। मैने धीमा-सा प्रकाश देखा। मैं समझ गया कि गाड़ी पहुँचने ही वाली है। अचानक एक टिकट कलैक्टर प्लेटफार्म पर दिखाई दिया। कुछ लोग, जो आराम कक्ष में सुस्ता रहे थे, वहाँ पर आ गये। एकांत और सुनसान स्थान में फिर से जान आ गई।

गाड़ी पहुँच गई। सम्भवतः मेरी माताजी ही अकेली ऐसी यात्री थीं जो गाड़ी से उतरीं। दूसरे यात्री गाड़ी में चढ़ गये। चाय की माँग अधिक थी परन्तु प्लेटफार्म पर कोई दुकानदार नहीं था जो यात्रियों को चाय मुहैया करा सके।

वर्षा बन्द नहीं हुई थी। हमें आराम कक्ष में ही समय गुजारना पड़ा लगभग 5 बजे सवेरे वर्षा रुक गई। हमने एक रिक्शा लिया और घर पहुँच गये।

वह कितना भयानक दृश्य था !

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