अनन्वय अलंकार Ananvay Alankar जहाँ उपमान और उपमेय एक ही हों, वहाँ अनन्वय अलंकार होता है। जैसे- राम से राम, सिया सी सिया, सिरमौर विरंचि विचारि संवारे । स्वामि गुसाइहिं सरिस गुसाईं, माहिं समान मैं स्वामि दुहाई ।
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विशेषोक्ति अलंकार Visheshokti Alankar कारण तो मौजूद रहे, फिर भी हो न सके कोई काज। विशेषोक्ति वहाँ जानिये, बनिये गुणी और सरताज । परिभाषा – जहाँ कारण के उपस्थित होने पर भी कार्य नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। नेहि न नैननि की कछु उपजी बड़ी बलाय। नीर भरे नित प्रति रहें, तऊ न प्यास बुझाय । इस उदाहरण में विशेषोक्ति अलंकार है क्योंकि कारण रहने पर भी कार्य नहीं...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
व्यतिरेक अलंकार Vyatirek Alankar जब कविता में कवि कहें, उपमेय बड़ा और लघु उपमान। गुण विशेष के कारण तब, व्यतिरेक अलंकार को पहचान। परिभाषा – जब काव्य में गुण विशेष के कारण उपमेय (जिसका वर्णन किया जा रहा हो) को ही उपमान (जिससे तुलना की जा रही हो) से बड़ा बताया जाये, तो वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है। स्वर्ग की तुलना, उचित ही है यहाँ, किंतु सुरसरिता कहाँ, सरयु कहाँ?...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विभावना अलंकार Vibhavna Alankar न हो कारण जहाँ और, कार्य फिर भी संपन्न हो । या दिखे विपरीत कार्य तो, विभावना ही उत्पन्न हो। परिभाषा – जहाँ कारण के बिना या कारण के विपरीत कार्य की उत्पत्ति का वर्णन किया जाये, वहाँ विभावना अलंकार होता है। बिनु पद चलै, सुने बिनु काना, कर बिनु करम करै विधि नाना। आनन-रहित सकल रस भोगी, बिनु बानी बकता बड़ जोगी ।। चलना, सुनना, करना...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
व्याजनिंदा अलंकार Vyanjninda Alankar बहाना हो निंदा का, समझत में स्तुति हो । व्याजनिंदा अलंकार की, बस वहीं प्रस्तुति हो । परिभाषा – जब कविता में इस तरह, वर्णन किया गया हो कि वह देखने पर प्रशंसा लगे किंतु वास्तव में वह निंदा हो, तो वहाँ पर व्याजनिंदा अलंकार होता है। जैसे- तुम तो सखा श्याम सुंदर के, सकल जोग के ईस। सूर हमारे नंदनंदनु बिनु, और नहीं जगदीस। गोपियाँ...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
व्याजस्तुति अलंकार Vyanjstuti Alankar देखत की निंदा लगे, स्तुति का होय बहाना। व्याजस्तुति अलंकार वहीं, बंधु तुरंत बताना। व्याज शब्द का अर्थ है बहाना और स्तुति का अर्थ है प्रशंसा करना। परिभाषा – जब कविता में एक तरह का चित्रण हो कि देखने पर वह निंदा जैसा प्रतीत हो, परंतु निंदा के बहाने किसी की प्रशंसा की जा रही तो वहाँ पर व्याज स्तुति अलंकार होता है। निशि दिन पूजा करत...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अन्योक्ति अलंकार Anyokti Alankar लक्ष्य कोई और हो, और चले कोई बात । अन्योक्ति अलंकार तभी, कविता में कहलात। अन्योक्ति का अर्थ है – अन्य उक्ति। अर्थात् अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत का बोध कराना। जब किसी वस्तु या व्यक्ति को सम्बोधित करके कोई बात कही जाती है, परन्तु वास्तविक लक्ष्य कोई अन्य व्यक्ति होता है, तो ऐसी उक्ति को अन्योक्ति कहा जाता है। स्वारथ, सुकृत न, श्रम वृथा; देखु बिहंग!...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अतिशयोक्ति अलंकार Atishyokti Alankar अतिशयोक्ति का सन्धि विच्छेद करने पर दो पद प्राप्त होते हैं – अतिशय + उक्ति अर्थात् बढ़ाचढ़ाकर बातें करना। जब लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी वस्तु या विषय का वर्णन किया जाय, जिससे वह वर्णन अधिक प्रभावशाली और चमत्कारपूर्ण बन जाय, तो उस उक्ति को अतिशयोक्ति (बढ़ा-चढ़ाकर जो कि वास्तव में असम्भव हो) कहते हैं। इसमें लोक मर्यादा का उल्लंघन होता है। जैसे- यह शर इधर...
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