Neta ke Avashyak Gun “नेता के आवश्यक गुण” Hindi Essay 500 Words for Class 10, 12.
नेता के आवश्यक गुण
Neta ke Avashyak Gun
ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में नेता वृक्षों पर उगते हैं। जिस व्यक्ति को थोड़ा बोलना आ जाता है वही लोगों का अगुआ बन बैठता है। हमारी जनता इतनी भोली-भाली है कि वे किसी के भी पीछे लग जाती है। भेड़ों को भी अपने गड़ेरिये का पता होता है, परन्तु हमारी जनता को नहीं। नेता प्रतिदिन अपना दल बदलता रहता है। रात को सोने से पहले वह लोकदल में होता है और प्रातः दिन निकलने पर काँग्रेसी बन जाता है फिर भी हम आँख बन्द करके उसकी पूजा करते हैं। हम एक ही लाठी से हाँके जाने वाले पशुओं के समान बन चुके हैं।
हमारे पास अच्छे नेताओं का अभाव है और यही हमारे पतन का कारण है। अच्छा नेता मुश्किल से ही मिलता है। नेता बनने का अर्थ है किसी उद्देश्य या सिद्धांत की पूर्ति में जुट जाना। महात्मा गाँधी सत्य और अहिंसा से जुड़े हुए थे। इसमें उनकी अटूट निष्ठा थ परीक्षणों और विपत्तियों के बहुत से अवसर आये परन्तु गाँधी जी एक चट्टान की तरह दृढ़ता से खड़े रहे। उनका जीवन वास्तव में सत्य के प्रयोगों की एक श्रृंखला थी।
नेता में आवश्यक एक और गुण यह होता है कि उसे सच्चा मार्गदर्शक होना चाहिए। उसमें उस मार्ग पर चलने का साहस होना चाहिए जिस पर चलने का वह उपदेश देता है। हमारे देश के अधिकांश नेता ढोंगी हैं। उनकी कथनी और करनी में कोई सामंजस्य नहीं होता। से खादीधारी नेता अपने अनुयायिओं को सादगी और गाँधी जी की आडम्बर हीनता बहुत के उपदेश तो देते हैं परन्तु उनके अपने घरों में विलासिता की शायद ही कोई वस्तु है जो न हो। बहुत से पियक्कड़ शराबी ऊँचे-ऊँचे मंचों से मद्य-त्याग का उपदेश देते हैं और काला बाजार का धन्धा करने वाले बहुत से नेता देशभक्ति का गुणगान करते नहीं अघाते। यही लोग हमारे देश की दुर्दशा और भुखमरी के लिए उत्तरदायी हैं। नेता को अपने उपदेशों के प्रति निष्ठावान होना चाहिए।
नेताओं को अपने लोगों के साथ तादात्म्य स्थापित करना चाहिए। उसे उनसे मिलना चाहिए, उनमें घुलमिल जाना चाहिए और उनमें से एक बनकर रहना चाहिए। उसे उनकी कठिनाइयों और समस्याओं को समझना चाहिए और उन्हें दूर करने का भरसक प्रयास करना चाहिए। गाँधी जी ने लंगोटी ही पहनने का संकल्प केवल इसलिए किया था क्योंकि उन्होंने देखा कि उनके देशवासी नंगे और अधनंगे ही रहते हैं। इस प्रकार उन्होंने निर्धनतम और दीनहीन व्यक्तियों के साथ अपने आपको जोड़ लिया।
नेता को समय पड़ने पर आगे आ जाना चाहिए। मुसीबत और आपातकाल में ही नेता के साहस की परीक्षा होती है। शांत जल में तो कोई भी नाव आराम से चलाई जा सकती है परन्तु समुद्री तूफान का मुकाबला केवल मजबूत नाव ही कर सकती है। ऐसे ही एक नेता शास्त्री जी थे। जय प्रकाश नारायण ने आपातकाल में शासन की ज्यादतियों के खिलाफ लोगों को एक-जुट किया और साहस, दृढ़ता एवं नेतृत्व का परिचय देते हुए आने वाले लोकसभा के चुनाव में अपराजेय समझी जाने वाली कांग्रेस को सत्ता-च्युत कर दिया।