Nakshatra Yudh – Star War “नक्षत्र – युद्ध ( स्टार – वार )” Hindi Essay-Paragraph in 700 Words for Class 10-12 and competitive Examination.
नक्षत्र – युद्ध ( स्टार – वार )
Nakshatra Yudh – Star War
द्वितीय विश्व युद्ध में जिस दिन हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका ने अणु बम का विस्फोट किया, उसी दिन से आरम्भ हो गया-आणविक युग। इसके बाद आणविक बमों के संग्रह करने की प्रतियोगिता शुरू हो गई। संसार के शक्तिशाली देश आणविक बमों के प्रयोग की शक्ति पर गर्व महसूस करने लगे उसके बाद फैशन के तहत एक से एक घातक आणविक अस्त्रों का निर्माण होने लगा। अणु बम से हजार गुने शक्तिशाली हाइड्रोजन बम का आविष्कार भी शुरू हो गया। आई.जी.बी.एम. तैयार होने लगे। आणविक क्षेत्र शस्त्रों से युक्त पनडुब्बियाँ बनाई गई । ‘मल्हिपुल वार हेड’ बने। सोवियत संघ ने सन् 1997 में अंतरिक्ष प्रतियोगिता का आरंभ स्पुतनिक-1 से कर दिया। इसके बाद सामरिक उद्देश्य में अंतरिक्ष में एक के बाद एक उपग्रह भेजे जाने लगे। उपग्रहों को नष्ट करने के लिए ‘लेजर’ का भी प्रयोग होने लगा। इसके अलावा रसायनिक और जीवाणु युद्ध भी वर्तमान युग की विशेषताएं हैं।
23 मार्च 1983 ई. को प्रेसिडेन्ट रेगन ने अमेरिका की जनता को सम्बोधित करने के लिए जो भाषण दिया उसे ही नक्षत्र युद्ध (स्टार-वार) सम्बन्धी भाषण कहा जाता है। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में कोई आणविक अस्त्रों द्वारा आक्रमण होने पर उसे रोकने करने के लिए नये वैज्ञानिक उपाय करने पड़ेंगे। उन्हें अंतरिक्ष में ही समाप्त कर दिये जायेंगे। अंतरिक्ष में होने वाले इस घमासान को ही ‘स्टार वार’ कहा जाता है। ‘स्टार-वार’ नाम का एक लोकप्रिय अमेरिकी चलचित्र भी है। रेगन की अंतरिक्ष युद्ध विषम घोषणा तभी इस चलचित्र के नाम से जुड़ गई है। सन् 1984 ई. में रेगन के निर्देशानुसार वैज्ञानिकों ने अपनी घोषणा की एक नई रूपरेखा तैयार की। इसका नामकरण हुआ एस.वी.आई. (स्क्रेटेजिक डिफेन्स इनि सियेटिव) पाँच साल की अवधि (1985-90) में इस खोज पर 20 मिलियन डॉलर खर्च होने की संभावना व्यक्त की गई। गवेषणा का विषय रखा गया-अत्यंत शक्तिशाली ‘लेजर’ राईम द्वारा आणविक प्रक्षेपास्त्रों को अंतरिक्ष में या किसी अन्य इच्छित स्थान पर नष्ट कर देना। इसके अतिरिक्त इस ‘लेजर’ किरण में नियंत्रण के लिए प्रयोजनीय उन्नत प्रकार के अचूक संयंत्र भी बनायें जायेंगे।
अमेरिका की धारणा थी कि उसकी नक्षत्र युद्ध सम्बन्धित योजना सोवियत संघ को भयभीत कर देगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। विश्व में शक्ति का संतुलन बनाये रखने के लिए सोवियत संघ अंतरिक्ष युद्ध का मुकाबला करने के लिए तैयार करने लगा। इसी बीच रूस ने अमेरिका के प्रक्षेपास्त्रों एवं उपग्रहों को नष्ट करने वाला एक अत्यंत आधुनिक अस्त्र बना लिया। इस अस्त्र का वातावरण इस प्रकार बनाया गया है कि ‘लेजर’ लाइट के प्रयोग से भी इसे नष्ट नहीं किया जा सकता था। दोनों महाशक्तिशाली देशों की प्रतियोगिता की कमी, कम प्रतीत होता नहीं दिखाई पड़ने लगा।
किंतु रेगन के नक्षत्र युद्ध सम्बन्धित योजना का अमेरिका के ही हजारों वैज्ञानिक विरोध करने लगे। उन वैज्ञानिकों ने मानव जाति को ध्वंस से बचाने का संकल्प लिया और प्रेसीडेन्ट रेगन के नक्षत्र युद्ध की करवाई को धिक्कार दिया। इनमें 15 वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजयी थे और अमेरिका के बीस श्रेष्ठ विश्व विद्यालयों के भौतिक विज्ञान के प्रसिद्ध अध्यापक थे। उन्होंने कहा था कि कोई भी व्यवस्था आणविक प्रक्षेपास्त्र को सक्षम या बेकार नहीं बना सकती। हालांकि रेंगन यही चाहते थे और उन्होंने यह भी कहा था कि उनके कार्यक्रम संसार में आज जिन शास्त्रों की स्पर्द्धा को घटायेगा। इन वैज्ञानिकों का यह कदम अमेरिका की युद्ध नीति के खिलाफ जिहाद था। ये वैज्ञानिक अंतरिक्ष युद्ध कार्यक्रम के सब से पहले प्रबल विरोधी थे। इजिनेम विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के अध्यापक जोन कागोट थे जिन्होंने सूचित किया था कि इंजिनेम विश्व विद्यालय के भौतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग संकायों के अधिकांश अध्यापक रेगन के अंतरिक्ष युद्ध कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे।
विगत साढ़े पाँच हजार वर्ष में इस धरती पर बहुत से युद्ध हुए। बहुत हानि हुई और अनेक रक्तपात हुए। द्वितीय विश्व युद्ध में मानव ने एक महाविभीषिका के प्रत्यक्ष दर्शन किये तो भी युद्ध नहीं रुक सका। पृथ्वी पर आज भी जगह-जगह युद्ध की आग जल रही है, मनुष्य की न जाने कितनी सम्पदा राख में तब्दील हो रही है। आज विश्व के जल, स्थल और अंतरिक्ष में आणविक युद्ध की तैयारी हो रही है। इस भावी युद्ध की परिणाम होगा संसार में असंख्य लोगों की मृत्यु तभी तो शांति की प्रार्थना ध्वनित हो रही है। संसार में करोड़ों शांति यानी मनुष्य की आन्तरिक इच्छा कदापि व्यर्थ नहीं होगी। किन्तु निश्चित रूप से व्यर्थ होगी रेगन के अंतरिक्ष युद्ध की इच्छा।