Mele ki Yatra “मेले की यात्रा” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 and Graduation and other classes.
मेले की यात्रा
बैसाखी एक सर्वप्रिय त्योहार है यह हर साल 13 अप्रैल वाले दिन आती है। इसे सर्दी के मौसम का अन्त माना जाता है। गेहूँ की फसल कटाई के लिए तैयार होती है। यह सब के लिए खुशी और मनोरंजन का दिवस होता है।
लोग इस त्योहार का इन्तजार करते हैं। हमारे शहर में इस दिन हर वर्ष मेला लगता है। हर कोई यहाँ मेला देखने जाता है। यह मन्दिर के पास लगता है।
पिछले वर्ष मैं अपने माता-पिता के साथ मेला देखने गया। रास्तें में हमें लोग मिले, वे भी मेला देखने जा रहे थे। वे अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहने हुए थे। बच्चे खुश और आनन्दित लग रहे थे।
मेले में खूब रौनक थी। वहाँ बहुत से स्टॉल थे जो कि सुरुचिपूर्ण तरीके से सजाए गए थे। स्टॉल के मालिक अच्छा कारोबार कर रहे थे। वहाँ नाश्ते, मिठाई खिलौने, कपड़े, साज-सज्जा का सामान, पुस्तकों, पूरी और जलेबी, पेय और आईसक्रीम आदि के स्टॉल लगे हुए थे। लोग सामान खरीदते और खाते हुए नज़र आ रहे थे। कुछ गर्म चाय और कुछ शीतल पेय पी रहे थे। बच्चे गुब्बारे खरीदने में व्यस्त थे। लड़कियाँ भी अपनी पसन्द की चूड़ियाँ खरीदने में व्यस्त थीं।
वहाँ पर आने वालों की आकर्षित और चकित करने वाली और बहुत सी चीजें थीं। वहाँ पर मदारी, सपेरा, भविष्य वक्ता और हाथ की रेखाएँ देखने वाले थे। बच्चे भूलों का आनन्द ले रहे थे। हमने भी घूमने वाले झूले की सवारी की।
एक कोने पर एक बड़ा मंच था। वहाँ सभ्याचारक कार्यक्रम चल रहे थे। बहुत-सी औरतों ने लोक-नृत्य पेश किया। किसान ढोल की थाप पर गाँवों के गीत गा रहे थे। ये सब चीजें देखने योग्य थीं। प्रबन्धकों ने कुश्ती का भी आयोजन किया था। न्याय और व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहाँ पर पुलिस भी थी। वे यातायात को भी नियमित (नियंत्रित) कर रहे थे। मेले में खूब मज़ा आया। हम शाम को 7 बजे घर वापिस आए। मेले की यह कभी नहीं भूलने वाली यात्रा थी।