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Kya Chatra ko Rajniti me hissa lena chahiye? “गंक्या छात्रों को राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए?” Hindi Essay, Nibandh 300 Words for Class 10, 12 Students.

क्या छात्रों को राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए?

Kya Chatra ko Rajniti me hissa lena chahiye?

राजनीति को दुर्जनों का अन्तिम आश्रय कहा जाता है। वह व्यक्ति जिसे सभ्य समाज ने अस्वीकार कर दिया हो या वह जो अपने आप को समाज के मानदण्डों और मूल्यों के अनुकूल नहीं बना सका हो प्रायः राजनीति में हिस्सा लेता है। अधिकतर राजनीतिज्ञ, आत्मकेन्द्रित, चरित्रहीन और तुच्छ होते हैं। आज समाज में व्याप्त बहुत-सी बीमारियों के लिए वही जिम्मेवार हैं। इसी वजह से छात्रों को अपने जीवन की रचनात्मक स्थिति में राजनीति में हिस्सा लेने की सलाह नहीं दी जाती है।

राजनीतिज्ञ अपने क्षणिक लाभ के लिए मासूम छात्रों को बहकाते हैं। वास्तव में वे अपनी जेब में शक्ति और प्रभाव चाहते हैं ताकि उनके अपने फायदे बढ़ते रहें। एक बार अगर उन्हें छात्रों को इस गन्दे खेल में हिस्सा दिलवाने में सफलता मिल जाये तो वे या तो उन्हें बरबाद कर देंगे या उनका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना शुरू कर देंगे। इससे छात्रों में कुण्ठा उत्पन्न होगी। उनका अपने अध्ययन और गतिविधियों में उत्साह कम होने लगेगा। वे अपनी तुच्छ और नगण्य माँगों व शिकायतों के लिए राजनीतिज्ञों जैसी हड़ताल, तालाबन्दी, घेराव आदि विधि अपनाने लगेंगे। वे गैर-महत्त्वपूर्ण कारणों-चाहे यह परीक्षा में पूछे गये कठिन प्रश्नों के लिए हो या अपने परीक्षा कक्ष में कड़े निरीक्षक के लिए हो या फिर बाथरूम के नल से पानी टपकने के कारण हो, भूख-हड़ताल करेंगे। उनमें सही और गलत की पहचान करने की समझ खत्म हो जाएगी। राजनीति उनके जीवन की मार्गदर्शक शक्ति हो जाएगी। वे अपने परामर्शदाताओं के उदाहरणों का अनुसरण करेंगे। छात्र, परीक्षा में गलत तरीके अपनाने के लिए मना करने वाले अधिकारी को चुनौती देंगे। उनमें शिक्षकों और बड़ों के प्रति आदर खत्म हो जाएगा और वे छोटे से छोटे मौके पर राजतीतिक नारा लगाएँगे।

इन कारणों से मैं छात्रों के द्वारा राजनीति में हिस्सा लेने के सख्त खिलाफ हूँ। जब वे बड़े हो जाएँ और अपना भला-बुरा समझने के लायक हो जाएँ, सिर्फ तभी वे राजनीति को अपना भविष्य बनाने के बारे में सोचें या जीवन में कोई दूसरा रास्ता चुनें।

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