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Kavi Gang ki Nirbhayata, “कवि गंग की निर्भयता” Hindi motivational moral story of “Kavi Gang” for students of Class 8, 9, 10, 12.
कवि गंग की निर्भयता
Kavi Gang ki Nirbhayata
कवि गंग की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई थी। वे बहुत लोकप्रिय भी थे। एक बार बादशाह अकबर ने उन्हें अपने पास बुलाया और कुछ कविताएं सुनाने के लिए कहा; लेकिन कवि गंग की इच्छा न थी। कवि स्वभाव से ही स्वतंत्रताप्रिय और विद्रोही होता है। गंग को बादशाह का तानाशाही आदेश अच्छा न लगा और उन्होंने मना कर दिया। इस पर अकबर ने उन्हें मदोन्मत्त हाथी से कुचलवा देने की आज्ञा दे दी, लेकिन कवि की स्वतंत्रता और स्वाभिमान शक्ति बल से नहीं कुचली जा सकती। बड़ी मस्ती में कवि गंग ने उस हाथी को आता हुआ देखकर कहा- “चाह भई परमेश्वर को कवि गंग को लेन गणेश पठायो।” और वे उस हाथी द्वारा कुचलवा दिये गये। उन्हें मरने और जीने के विषय में तनिक भी सुख-दुःख नहीं था।