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Jaise ko Taisa, “जैसे को तैसा” Hindi motivational moral story of “Ishwar Chandra Vidyasagar” for students of Class 8, 9, 10, 12.
जैसे को तैसा
Jaise ko Taisa
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर कलकत्ता के प्रेसीडेन्सी कालेज के प्रिंसिपल से मिलने गए। गुलाम देश के नागरिकों से असभ्यता का व्यवहार करने वाले उस अंग्रेज प्रिंसिपल ने अपने पैर मेज़ पर रखकर ईश्वरचन्द्र जी से बातें की। उसने उन्हें बैठने को भी नहीं कहा। विद्यासागर अपमान का घूंट पी कर चले आए।
कुछ समय पश्चात् वही प्रिंसिपल ईश्वरचन्द्र विद्यासागर से मिलने उनके पास आया। अब अच्छा मौका था। ईश्वरचन्द्र जी ने उसी प्रकार मेज़ पर पैर रखकर बात की और उसे बैठने को भी नहीं कहा। अंग्रेज प्रिंसिपल आग बबूला हो गया और उसने उच्च अधिकारियों से शिकायत कर दी।
ईश्वरचन्द्र जी ने अपनी सफाई में कहा, ‘मैं समझा यह इंग्लैण्ड का शिष्टचार है और मैंने यही किया।’ अधिकारी सारी बात समझ गए और उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की।