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Hindi Prem, “हिन्दी प्रेम” Hindi motivational moral story of “Suryakant Tripathi Nirala” for students of Class 8, 9, 10, 12.

हिन्दी प्रेम

Hindi Prem

एक बार कविवर सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला किसी ट्रेन में कहीं जा रहे थे। उसी ट्रेन में पंड़ित जवाहर लाल नेहरू भी सवार थे। निराला जी पंड़ित जी से मिलना चाहते थे। काफी कोशिश के बाद वे नेहरू जी तक पहुंचने में सफल हुए। वेशभूषा से नेहरू जी उनको बर्मी या बंगाली समझे। उन्होंने यह बताते हुए कि वे उत्तर-प्रदेश के हैं और कहा-“मुझे आप से एक बात करनी है। आप भारतीय होकर हिन्दी नहीं जानते। आपने अपनी आत्मकथा हिन्दी में न लिखकर अंग्रेजी में लिखी यह कितनी लज्जा की बात है।’

निराला जी कुछ रुक कर फिर बोले-“आप अपने भाषणों में हिन्दी के सूर, तुलसी, मीरा एवं संस्कृत के कवि कालिदास के उदाहरण न देकर अंग्रेजी भाषा के मिल्टन, कीट्स, शेक्सपीयर आदि की उक्तियां प्रस्तुत करते हैं। स्मरण रहे जब तक हिन्दी भाषा, हिन्दू संस्कृति का समुचित संरक्षण न होगा देश की स्वाधीनता स्वप्नवत् रहेगी।

इतना कह कर नेहरू जी के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना निराला जी ट्रेन से उतर गये।

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