Hindi Moral Story, Essay “सच्चा भक्त” “Saccha Bhakt” for students of Class 8, 9, 10, 12.
सच्चा भक्त
Saccha Bhakt
प्रवचन के बाद नीशापुर के संत अहमद से एक जिज्ञासु ने पूछा, “ईश्वर का सच्चा भक्त कौन है?” इस पर संत बोले, “सुनो, मैं तुम्हें एक दृष्टांत देता हूँ।
बहराम नामक मेरा एक पड़ोसी था। वह बड़ा ही धनवान था। उसके कारवाँ लाखों रुपयों का माल लेकर बेचने के लिए विदेश जाते थे। एक बार रास्ते में डाकुओं ने उसका सारा माल लूट लिया।
“पड़ोसी होने के कारण मेरी उससे मित्रता हो गई थी। लाखों रुपयों का नुकसान होने के कारण मैं उसके घर ढाढ़स बँधाने गया। संध्या का समय था।
भोजन का भी समय हो गया था। बहराम ने सेवकों को मेरे लिए भोजन लाने का आदेश किया। मैंने उससे कहा, ‘भाई! भोजन के लिए धन्यवाद! मैं तो तुम्हें सांत्वना देने के लिए आया था।’
“इस पर बहराम बोला, ‘हाँ यह सच है कि मुझे काफी नुकसान हुआ है।
यद्यपि डाकुओं ने मेरा माल लूटा है, मगर मैंने कभी किसी को नहीं लूटा। मैं ईश्वर का कृतज्ञ हूँ कि डाकुओं ने मेरी नश्वर संपत्ति का ही कुछ हिस्सा लूटा है। उन्होंने मेरी शाश्वत संपत्ति को जरा भी हाथ नहीं लगाया। यह शाश्वत संपत्ति है-ईश्वर के प्रति मेरी आस्था । यही मेरे जीवन की सच्ची संपत्ति है।’ मेरी दृष्टि से बहराम ईश्वर का सच्चा भक्त है ।”