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Hindi Moral Story, Essay “गुरुनिष्ठा” “Gurunishtha” of “Sant Dadu” for students of Class 8, 9, 10, 12.
गुरुनिष्ठा
Gurunishtha
एक बार संत दादू, संत रज्जब अन्य शिष्यों के साथ परिभ्रमण कर रहे थे कि रास्ते में एक नदी पड़ी। वैसे नदी में पानी तो कम था, किन्तु कीचड़ इतना जम गया था कि नदी पार करना बड़ा कठिन था। तब शिष्य लोग पत्थर एकत्र करने लगे, किन्तु रज्जब बोले, “गुरुदेव, आप मेरे शरीर पर पैर रखकर उस पार हो जाइए,” और वे सचमुच वहाँ लेट गए। संत दादू ने उन्हें उठने को कहा। रज्जब बोले, “आपके चरणों से मेरा यह शरीर पावन हो जाएगा।
मेरे शरीर की उपादेयता इसी में है कि वह आपकी सेवा करता रहे।” दादू रज्जब की गुरुनिष्ठा देख बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे उठाया और गले लगाकर उसके प्रति आत्मीयता प्रकट की।