Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Samajik Jivan mein Bhrashtachar” , “सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार
Samajik Jivan mein Bhrashtachar
भ्रष्टाचार का बढ़ता स्वरूप-भारत के सामाजिक जीवन में आज भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यहाँ का रिवाज़ है-रिश्वत लो और पकड़े जाने पर रिश्वत देकर छूट जाओ। नियम और कानून की रक्षा करने वाले सरकारी कर्मचारी सबसे बड़े भ्रष्टाचारी हैं। केवल तीन करोड़ में देश के सांसदों को खरीदना और उनका बिकना भ्रष्टाचार का सबसे शर्मनाक दृश्य है।
भ्रष्टाचार का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर बहता है। जब मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री स्वयं भ्रष्टाचार या घोटाले में लिप्त हों तो उस देश का चपरासी तक भ्रष्ट हो जाता है। यही स्थिति भारत की हो चुकी है। सरकारी कार्यालयों में बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता। फर्जी बिल बनाए जाते हैं। बड़े-बड़े अधिकारी कागजों पर सड़कें, पूल आदि बनाते हैं और सारा पैसा खद खा जाते हैं। सरकारी सर्वेक्षण बताते हैं कि किसी भी योजना के लिए दिया गया 85% पैसा तो अधिकारी ही खा जाते हैं।
भ्रष्टाचार : एक नियमित व्यवस्था–अब तो प्रीमियम, डोनेशन, सुविधा-शुल्क या नए-नए नामों से भ्रष्टाचार को व्यवस्था का अंग बना दिया गया है। कहने का अर्थ है कि सरकार तक ने इसे स्वीकार कर लिया है। इसलिए व्यापारियों और व्यवसायियों का भी यही ध्येय बन गया है कि ग्राहक को जितना मर्जी लूटो। कर्मचारी ने भी सोच लिया है-खूब रिश्वत लो और काम से बचो।
भ्रष्टाचार : क्यों और कैसे?-भ्रष्टाचार मनुष्यों की बदनीयती के कारण बढ़ा और उसमें सुधार करने से ही यह ठीक होगा। समाज के नियमों का पालन करने के लिए परिवार तथा विद्यालय में संस्कार दिए जाने चाहिए। दूसरे, प्रशासन को.स्वयं शुद्ध रहकर नियमों का कठोरता से पालन कराना चाहिए। हर भ्रष्टाचारी को उचित दंड दिया जाना चाहिए ताकि शेष सबको बाध्य होना पड़े। परंतु प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझ रहा।
प्रश्न यह है कि ऐसा कब हो पाएगा ? यह समय पर निर्भर है। जब भी कोई दृढ़ चरित्रवान युवा नेतृत्व आर या पार की भावना से समाज को नेतृत्व देगा, तभी यह मैली गंगा शुद्ध हो सकेगी।