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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “फा-ह्यान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

फा-ह्यान

चीन : चीनी विद्वान, यात्री

 

प्राचीन भारत का इतिहास जानने के लिए हम जिन लोगों के ऋणी हैं, उनमें फा-यान का नाम प्रमुख है। वह भारत आने वाले दूसरे प्रसिद्ध यात्री थे। उन्होंने यहां जो कछ देखा और सुना, उसे लिपिबद्ध करके अपने देश ले गए। उनका विवरण विशेषकर बौद्ध राज्यों के बारे में था, किंतु उससे तत्कालीन भारत की अच्छी जानकारी मिलती है।

फा-स्यान का जन्म तीसरी शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ था। बचपन से ही वह निर्भीक, जिज्ञासु एवं धार्मिक प्रवृति के थे। उनकी शिक्षा एक बौद्ध बिहार में हुई। 20 वर्ष की अवस्था में फा-स्यान बौद्ध भिक्षु के रूप में दीक्षित हो गए। 399ई. में उन्होंने भारत आने का विचार किया और हजारों मील लंबी यात्रा तय करते हुए वह 405ई. में भारत पहुंचे। वह भारत में छः वर्ष और श्रीलंका में दो वर्ष तक रहे। उन्हें अपनी यात्रा में छः वर्ष लगे। उस समय भारत में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का राज्य था। वह भारत की सभ्यता तथा संस्कृति की उत्कृष्टता से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए। उन्होंने अपने विवरण में गुप्त काल की धार्मिक सहिष्णुता, कला, सामाजिक जीवन एवं आर्थिक दशा की काफी प्रशंसा की है।

फा-यान की भारत यात्रा का मूल उद्देश्य बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों का दर्शन और बौद्ध ग्रंथों का संग्रह करना था। जब वह भारत से वापस गए, तो अपने साथ यहां के कई दुर्लभ बौद्ध ग्रंथ भी ले गए। फा-स्यान ने उन ग्रंथों को ले जाकर अच्छा ही किया अन्यथा बाद में उन्हें भी अन्य ग्रंथों की तरह विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिया जाता।

भारत यात्रा के दौरान फा-स्यान को बहुत-सी महान दर्लभ चीजें देखने को मिलीं. जिनमें महात्मा बुद्ध के अवशेष, कनिष्क द्वारा निर्मित पेशावर का स्तूप, कपोत विहार आदि शामिल हैं। फा-स्यान ने पाटलिपुत्र का अद्वितीय वर्णन किया है। फा-यान ने बतलाया है कि उस समय नगर में विभिन्न धर्मोत्सव बड़े उत्साह से मनाए जाते थे। हिंदू लोग बौद्ध आदर्शो को निबाहते थे। राज्य की ओर से प्रजा की सुविधा एवं सेवा के लिए कई चिकित्सालय, धर्मशालाएं एवं’ मनोरंजन केंद्र मुफ्त सहायता करते थे। कानून व्यवस्था बेहद अच्छी थी।

फा-स्यान ने भारत के शासकों की धार्मिक उदारता, न्यायप्रियता एवं प्रजा के बीच लोकप्रियता की सराहना की है। उन्होंने तत्कालीन भारतीय समाज को कछ इस तरह से चित्रित किया है कि वह आज एक ‘स्वप्न’ की तरह अनभव होता है। वास्तव में उस युग का विवरण जानने पर हमें भारतभूमि की समृद्धि और महानता का पता चलता है।

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