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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Surya Udya ka Drishya”, ”सूर्योदय का दृश्य” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

सूर्योदय का दृश्य

Surya Udya ka Drishya 

सूर्य की प्रथमकिरण ने भूमि का स्पर्श किया। आकाश में उजेला छाने लगा। एक तरफ मुर्गों की कुकुडू कू ने नींद उचाट दी। पूर्व में लाली प्रकट होने लगी। लालिमा धीरे धीरे स्वर्णिम होने लगी। चिड़ियाँ चहचहाने लगी। उनका मधुर संगीत कानों में पड़ने लगा। सोता हुआ संसार जागृति की ओर अग्रसर होने लगा। प्राणियों ने अलसाई दृष्टि चारों ओर डाली। अंगड़ाई लेकर वे उठ खड़े हुए।

शीतल मंद सुगन्ध पवन बहने लगी। इस वायु ने मानों प्राणियों में जीवन फेंक दिया। टहलने के शौकीन स्वच्छ वायु का सेवन करने के लिए अपने साथियों के साथ निकल पड़े।

सभी पुरुष नित्य कृत्यों से निवृत्त होने लगे। हाथ मुँह धोकर सभी अपने अपने कार्यों में लगगए। विद्यार्थी प्रातःकाल के मधुर वातावरण में अपना पाठ याद करने में लगे। दरवाजे पर ग्वाला दूध लेकर उपस्थित हुआ। “दूध ले लो’ की आवाज लगाई। चाय के बर्तन खटकने लगे। माता जी ने गर्म गर्म चाय लाकर रख दी।

उद्यानों में फूल खिलगए। बेला चमेली मोगरा हार-सिंगार के फूलों की सुगन्ध से वायु में मस्ती भर गई। ऐसी वायु का सेवन करने से मन प्रसन्न हो गया। दृश्य बड़ा सुहावना हो गया। आखों को सुख मिला।

शीतलता वातावरण में व्याप्य है। मन उत्साह से पूर्ण है। इस समय कोई भी कार्य प्रारंभ किया जाए तो अनायास ही पूर्ण हो जाएगा। किसान को देखो। उसने अपने बैलों को चारा खिलाया पानी पिलाया। तैयार होकर हल कन्धे पर रख लिया। बैलों को हाँकता हुआ वह खेतों की ओर चल पड़ा। प्रातःकाल खेतों की हरियाली देखकर उसका मन प्रसन्न हो गया। हरे भरे खेतों को देखकर उसकी छाती फूल उठी। वह खुशी से झूमने लगा।

समुद्र के किनारे पूर्व दिशा में सूर्योदय की छटा निराली हो जाती है। मद्रास में समुद्र पूर्व में है। सूर्योदय से पूर्व समुद्र की सतह पर लाली छा जाती है। देखते देखते एक बड़ा लाल प्रकाश का पुंज समुद्र में से ऊपर उठता दिखाई देता है। धीरे धीरे यह लाल प्रकाश पुंज आकार में छोटा होता जाता है। साथ ही साथ उसके रंग में पीलापन। आता जाता है। लाल सूरज का गोला स्वर्णिम सूरज में बदल जाता है। यह आकाश में ऊपर उठता जाता है।

यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी होता है। समुद्र तल पर तरह तरह। के रंगों का परिवर्तन हृदय को मोहित कर लेता है। मद्रास को आने वाले यात्री इस दृश्य को देखने के लिए लालायित रहते हैं। समुद्र के किनारे ऐसे यात्रियों की प्रातःकाल भीड़ लग जाती है। एक तो समुद्र का आकर्षण दूसरे प्रातःकाल का समय भ्रमणार्थी भी पर्याप्त संख्या में समुद्र तट पर वायु सेवन के लिए आते हैं। समुद्र की लहरें आनोखा दृश्य उत्पन्न करती हैं।

यदि रात्रि आलस का प्रतीक है तो प्रातःकाल स्फूर्ति का। इस समय सभी प्राणियों की निद्रा दूर होकर स्फूर्ति का संचार होता है। पक्षियों का कलरव, चिड़ियों की चूंचू, कबूतरों की गुटरगूं मिलकर मधुर संगीत कानों में घोल देती हैं। सोती हुई वनस्पतियाँ ओस की बूंदों से आवृत मुख धोती हुई सूर्योदय का समय आनंद और उत्साह प्रदान करता है। सोता हुआ शान्त संसार जीवन से भर उठता है। मानव को कार्य करने की प्रेरणा देता है।

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