Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Stri Shiksha” “स्त्री शिक्षा” for Class 10, 12 Examination.
स्त्री शिक्षा (Stri Shiksha)
शिक्षा व्यक्ति के विवेक को जगाकर उसे सही दिशा प्रदान करती है। मानव जाति की प्रगति का इतिहास शिक्षा के इतिहास के साथ ही लिखा गया है। शिक्षा नारी और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है अन्यथा सही अर्थो में न प्रगति होगी न शांति। भारत जैसे विकासशील देश में स्त्री शिक्षा का महत्त्व इसलिए अधिक है कि वह देश की भावी पीड़ी को योग्य बनाकर उनका उचित मार्गदर्शन कर सकती है। नेपोलियन ने कहा भी है- “मातृभूमि की प्रगति शिक्षित और समझदार माताओं के बिना असंभव है।” यह ठीक ही कहा गया है कि एक पुरूष को शिक्षा देने से वह अकेला शिक्षित होता है लेकिन स्त्री की शिक्षा से समूचा परिवार शिक्षित हो सकता है। प्राचीनकाल में स्त्रियों के लिए गुरूकुल की व्यवस्था नहीं होती थी फिर भी गाग्री, मैत्रेयी, विद्योत्तमा, लोपामुद्रा जैसी विदूषी स्त्रियों के हमें दर्शन होते हैं। आधुनिक युग में स्त्रियों को भी शिक्षा के समान अधिकार प्राप्त हुए। स्त्री शिक्षा का महत्त्व लोगों को दिनों-दिन पता चलता रहा है और इसके आँकड़े बढ़ते जा रहे हैं। स्त्री की पहली भूमिका एक पुत्री के रूप में, दूसरी भूमिका पत्नी के रूप में तथा तीसरी और अंतिम भूमिका माँ के रूप में होती है। शिक्षित होकर वह इन तीनों भूमिका के कर्त्तव्यों का सही रूप से पालन कर पाती है। शिक्षित माँ बच्चों का सही मार्गदर्शन कर उनके विचारों को परिपक्व करके उनके चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। समाज और राष्ट्र की प्रगति में वह पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ है। आज हर क्षेत्र में शिक्षित नारी ने अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। विश्व के प्रगति में स्त्रियों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। एक शिक्षित स्त्री परिवार, समाज और पूरे राष्ट्र का गौरव होती है।