Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Shishtachar”, ”शिष्टाचार” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
शिष्टाचार
Shishtachar
Essay No. 01
अच्छे आचरणों वाला व्यक्ति समाज का आभूषण माना जाता है। इसके विपरीत अशिष्ट व्यक्ति समाज के लिए अभिशाप होता है। व्यक्ति आदतों का एक समूह होता है। एक शिष्ट व्यक्ति शिष्ट आदतों का समूह होता है। हमारा आचरण शिष्ट होनेसे सभी लोग मिलने जुलने की इच्छा करते है। अशिष्ट व्यक्ति से समाज घृणा करता है। हमारे शिष्ट आचरण हमें समाज में सम्मान एवं प्रतिष्ठा दिलाने में सक्षम होते हैं।
कोई भी व्यक्ति बात करने के ढंग से प्रभावित होता है। शिष्ट संभाषण अलंकार के समान होता है। मीठी एवं मधुर वाणी से कही गई बात हृदय में सहानुभूति उत्पन्न करती है। इसके विपरीत कट या कठोर भाषा में किया गया वार्तालप बनते हुए कार्य को भी बिगाड़ देता है।
स्वामी राम तीर्थ अमेरिका जा रहे थे। जहाज तट के समीप पहुँचने पर हलचल मच गई। स्वामीजी इस हल चल में भी चुपचाप बैठे थे। एक अमेरिकी यात्री से न रहा गया। उसने पूछ ही लिया – “आपका सामान कहाँ हैं। स्वामीजी ने उत्तर दिया – ‘राम अपने साथ उतना ही सामान रखता है, जितना स्वयं उठा सके।”, उसने फिर पूछा – “आपके पास रुपया पैसा तो अवश्य ही होगा। स्वामी जी ने शिष्ट एवं संयत भाषा से उत्तर दिया – “नहीं, राम रुपए पैसे का स्पर्श नहीं करता”। अमेरिकन ने पूछा – “तो आपकी सहायता करने वाले आप के मित्र यहाँ होंगे?” वे कौन है” स्वामी जी ने प्रश्नकर्ता के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – “आप”। वे सज्जन शिष्ट और संयत व्यवहार पर मुग्ध हो गए। वे स्वामीजी को अपने घर ले गए। उनके शिष्ट और संयत व्यवहार ने उनको अपना भक्त और प्रशंसक बना लिया। वे अमेरिका के अपने प्रवास में उन्हीं के अतिथि बने रहे।
तो देखा अपने शिष्टाचार का – प्रभाव। एक अपरिचित भी विदेश में शिष्टाचार के प्रभाव से सच्चा मित्र बन गया। शिष्टाचार सभी के लिए अनिवार्य है। यह धन, ऐश्वर्य, सौन्दर्य अथवा योग्यता से भी अधिक मूल्यवान सम्पत्ति है। मनुष्य की वाणी एवं आचरण का शिष्टाचार उसका सच्चा आभूषण है।
यदि कोई व्यापारी शिष्ट और नम्र नहीं है तो ग्राहक उसके पास नहीं जाते। अशिष्ट कर्मचारियों के व्यवहार से जनता उसकी बुराई करने लगती है। वह बदनाम हो जाता है। किसी अध्यापक को यदि विद्यार्थियों से आदर पाना है तो उसे विद्यार्थियों के साथ शिष्टता से व्यवहार करना चाहिए। उसी प्रकार कोई विद्यार्थी गुरु की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे भी अपना व्यवहार एवं बातचीत शिष्टता पूर्वक करनी चाहिए। कुछ घरानों में शिष्टाचार पारम्परिक रूप से पाया जाता है।
उनके मालिक अपने नौकरों को भी ‘आप’ शब्द से सम्बोधित करते हैं। घर के वयस्क सदस्य भी अपने से छोटों को ‘आप’ कहकरही संबोधित करते हैं। उन घरानों का शिष्ट संभाषण सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है। | शिष्टाचरण में खर्च तो कुछ नहीं होता पर लाभ ही लाभ दिखाई देता है। शिष्टाचारी को हर कोई चाहता है। डाक्टर जानसन का कथन है – शिष्ट और अशिष्ट व्यक्ति में यही अन्तर है कि प्रथम हर व्यक्ति को अपनी और आकर्षित करता है। जब कि द्वितीय सबकी घृणा का पात्र बनता है। यह कथन सत्य ही है कि शिष्टाचार से मानव बनता है और इसके अभाव से वह व्यक्ति ही रहता है।
शिष्टाचार व्यक्ति को आकर्षक बनाता है। उसके स्वभाव में श्रेष्ठता तथा आत्मा में सौंदर्य की वृद्धि करता है। शिष्टाचार के बिना किसी मनुष्य का आचरण गलत समझा जा सकता है। यदि कोई धूर्त और अपने व्यवहार में शिष्ट और संयत है, तो उसे भद्र पुरुष समझा जाता है, शिष्टाचार में जादू का सा प्रभाव होता है।
शिष्टाचार
Shishtachar
Essay No. 02
अच्छी आदतें तथा शिष्टाचार किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। शिष्टाचार ही मनुष्य के व्यक्तित्व का दर्पण होता है। मनुष्य अपने सभ्य व्यवहार तथा शिष्टाचार से ही किसी दूसरे व्यक्ति पर अपना प्रभाव छोड़ सकता है। शिष्टाचार के बिना व्यक्ति का जीवन अभिशप्त है। शिष्टाचार ही मनुष्य तथा पशुओं में अंतर करता है। मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि वह शिष्टाचार से परिचित है। हर समाज तथा सभ्यता में शिष्टाचार के अलग-अलग मानक हैं। मनुष्य अपने घर से ही शिष्टाचार सीखता है। हर विद्यालय में छात्रों को सामान्य रूप से शिष्टाचार तथा सही व्यवहार का ज्ञान दिया जाता है। फिर हम अपने पूरे जीवन में विभिन्न अच्छी आदतों तथा शिष्टाचार को अपने अनुभवों से सीखते हैं तथा उनका प्रयोग करते हैं। किसी के आने पर उसका अभिवादन, खाना खाने का ढंग, किसी से मिलने पर प्रतिक्रिया का ढंग, बड़ों तथा छोटों से बातचीत का तरीका आदि ये सब शिष्टाचार में आता है। जैसे हिंदू समाज में किसी बड़े से मिलने पर उसके पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। नमस्कार किया जाता है। मुस्लिम लोग एक-दूसरे को सलाम करके अभिवादन करते हैं।
पश्चिमी समाज में लोग हाथ मिलाकर या गले मिलकर अभिवादन करते हैं। इस प्रकार हर समाज में शिष्टाचार के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं। हमें दूसरे से बात करते समय अत्यंत मित्रवत् तरीके से बोलना चाहिए। उचित समय पर कृपया तथा धन्यवाद शब्दों का प्रयोग शिष्टाचार की परिधि में ही आता है। शिष्टाचार कभी हानिकर नहीं हो सकता, बल्कि कभी-कभी हमारा सभ्य व्यवहार तथा अच्छा बर्ताव दूसरे व्यक्ति को इतना प्रभावित कर देता है कि हमारे बिगड़े कार्य बन जाते हैं। किसी के प्रति अच्छा व्यवहार करके हम उसके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं तो अन्य व्यक्ति भी हमें आदर की दृष्टि से देखते हैं। शिष्टाचार तथा नम्र व्यवहार के बिना तो सभ्य समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए शिक्षा, खेलकूद ही नहीं बल्कि शिष्टाचार भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।