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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Razia Sultana” , ”रजिया सुल्तान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

रजिया सुल्तान

Razia Sultana

 

भारत : मध्ययगीन भारत की पहली शासिका

जन्म : अज्ञात मृत्यु 1240

रजिया सुल्तान भारत की पहली शासिका थी। उसने लगभग 5 वर्षों तक दिल्ली की सल्तनत को संभाला। उसका पूरा कार्यकाल संघर्षों में बीता। कहा जाता है कि यदि वह स्त्री नहीं होती, तो वह भारत की एक सफलतम शासिका सिद्ध होती।

रजिया गुलाम वंश के सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री थी। जिस समय रजिया गद्दी पर बैठी. उसके चारों तरफ घोर संकट छाया हुआ था। दिल्ली सल्तनत के अमीर एवं दरबारी अपने ऊपर एक स्त्री का शासन् होते नहीं देख सकते थे। इसलिए वह लगातार उसके विरुद्ध षड्यंत्र करते रहते थे।

रजिया एक साहसी, व्यवहार कुशल एवं दूरदर्शी महिला थी। इसलिए उसने धीरे-धीरे सरदारों को अपनी ओर मिलाना प्रारंभ कर दिया। प्रसिद्ध इतिहासकार मिन्हाज-उस-सिराज ने लिखा है, “रजिया एक महान शासक, कुशाग्र बुद्धि, न्यायप्रिय, हितकारी, विद्वानों की आश्रयदाता, प्रजा का कल्याण करने वाली एवं सामरिक गुणों को रखने वाली स्त्री शासक है।”

गद्दी पर बैठते ही रजिया ने पर्दा उतार फेंका और पुरुषों जैसे वस्त्र एवं चोगा धारण कर लिए। वह बड़े प्रभावशाली ढंग से अपना दरबार चलाती थी। पंजाब, बंगाल, बिहार सहित देश के अधिकांश भाग उसके अधिकार में आ गए थे। दिल्ली में नुरुद्दीन के विद्रोह को जब उसकी सेना ने दबा दिया, तो इससे भयभीत होकर कई विरोधी उसकी ओर आ गए।

रजिया के पतन के दो प्रमुख कारण माने जाते हैं। पहला, उसका स्त्री होन्म एवं दूसरा, एक एबीसीनिया निवासी दास जलालुद्दीन याकूत से उसकी अत्यधिक निकटता। इस बात को लेकर इब्नबतूता एवं फरिश्ता जैसे इतिहासकार उसपर मर्यादा भंग करने का आरोप लगाते हैं। याकूत पर रजिया की विशेष कृपा दृष्टि थी। इससे तुर्क सरदार दोनों को घणा से देखने लगे और अवसर पाते ही उन्होंने लोगों को भड़काकर विद्रोह कर दिया। सबसे पहले लाहौर, फिर भटिंडा में विद्रोह हुआ। रजिया ने लाहौर का विद्रोह सफलतापूर्वक दबा दिया। मगर जब भटिंडा के प्रशासक अल्तूनिया से युद्ध कर वह याकूत के साथ दिल्ली आ रही थी, तो 14 अक्टूबर, 1240 को मार्ग में उसका वध कर दिया गया। एक स्त्री होते हुए भी रजिया ने जिस निडरता के साथ संकटों का सामना किया, उसके कारण ही सभी आधुनिक इतिहासकार उसकी प्रशंसा करते हैं। एक इतिहासकार ने तो यहां तक लिखा है कि “वह स्त्री होकर भी पुरुष का मस्तिष्क रखती थी एवं बीस पुत्रों से भी बढ़कर थी।”

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