Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Railway Station ka Drishya” , ”रेलवे स्टेशन का दृश्य” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
रेलवे स्टेशन का दृश्य
निबंध नंबर :- 01
रेलवे स्टेशन वह स्थान है जहाँ ट्रेनें आती जाती हैं। यहां हर तरफ चहल-पहल होती है। यात्री ट्रेनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। रेलवे कर्मचारी हर समय अपने कार्य में व्यस्त रहते हैं। रात को भी उन कर्मचारियों को आराम नहीं मिलता।
यात्री सभी दिशाओं से आ रहे होते हैं। वे रिक्शा तथा कारों में आते हैं। कुछ टिकट खिड़की के बाहर कतारों में खड़े होते हैं। वे अपनी मंजिल के लिए टिकट खरीदते हैं। जो अपने रिश्तेदारों से मिलने तथा उनको विदा करने आते हैं, वे प्लेटफार्म टिकट खरीदते हैं। गेट पर टिकट पड़ताल करने वाला व्यक्ति खड़ा होता है। कुली अपनी पीठ तथा कंधों पर सामान ढो रहे होते हैं। वे लाल वर्दी पहने हुए होते हैं।
प्लेटफार्म पर यात्री बैंचों पर बैठ कर अपने सामान के साथ ट्रेन का इंतज़ार कर रहे होते है। समय-समय के पश्चात टेन के आने-जाने की घोषणाएँ होती रहती हैं। पूछताछ केंद्र पर भरी भीड़ जमा होती है। कुछ चाय स्टाल पर बैठ कर चाय पी रहे होते हैं। समाचार पत्र बचने वाला अपना काम कर रहा होता है।
जब ट्रेन स्टेशन पर आती है तो लोगों की हलचल मैच जाती है। वे आसानी से ट्रेन पकड़ने के लिए अपना स्थान बदलना शुरू कर देते हैं। जब गाड़ी रुकती है तो हड़बड़ी मैच जाती है. सभी ट्रेन में चढ़ने के लिए भीड़ लगा लेते हैं। जो ट्रेन के अंदर होते हैं वे बाहर जाने का प्रयास करते हैं तथा जो बाहर होते हैं वे अन्दर आने का प्रयास करते हैं। सभी जल्दी में प्रतीत होते हैं। चाय बेचने वाले ट्रेनों में चक्कर लगाते हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए ऊँची-ऊँची आवाजें लगाते हैं।
कुछ देर बाद गार्ड हरी झंडी दिखाता है तथा सीटी बजाता है। अब ट्रेन के जाने का समय हो जाता है। फिर इंजन सीटी बजाता है और ट्रेन चल पड़ती है। शुरू में यह धीरे फिर रफ्तार पकड़ लेती है। एक बार फिर माहौल शांत हो जाता है।
निबंध नंबर :- 02
रेलवे स्टेशन का दृश्य
Railway Station ka Drishya
रेलवे स्टेशन वह स्थान होता है जहां इधर उधर से आई गाड़ियाँ कुछ देर रूकती हैं। जब कभी भी हमें सफर करना होता है तो हमें रेलवे स्टेशन जाने का अवसर मिलता है। रेलवे स्टेशन पर लोग टैक्सी, आटो रिक्शा, टाँगे इत्यादि से आते हैं। स्टेशन के बाहर लाल रंग की कमीज़े पहने कुली बेसबरी से यात्रियों का सामान उठाने के लिये उतावले रहते हैं। यात्री टिकट घर से टिकटें खरीदते हैं। फिर वह सामान सहित, जिस प्लेटफार्म पर गाड़ी से जाना हो, वहां पहुँचते हैं। इसके लिये कई बार पुल भी पार करना पड़ता है। स्टेशन पर भिन्न-भिन्न प्लेटफार्म होते हैं। गाड़ी के आने से पहले यहाँ पर खूब चहल पहल होती है। प्लेटफार्म के सभी बैंच तथा सारा स्थान मुसाफिरों और उनको छोड़ने आए रिश्तेदारों से भरे होते हैं। प्लेटफार्म पर जगह जगह उनका सामान बिखरा होता है। प्लेटफार्म पर गाड़ी के इन्तज़ार में कुछ लोग चाय पीकर, कुछ अखबार पढ़कर,कुछ गप्पे मारकर तथा कुछ व्यक्ति ताश खेलकर अपना समय व्यतीत करते हैं। जब गाडी अधिक लेट हो जाती है तो लोग रेलवे विभाग को कोसते पाए जाते हैं। जब गाड़ी के आने की सूचना मिल जाती है और जब गाड़ी को सिगनल मिल जाता है तब लोग सावधान हो जाते हैं और जब गाड़ी प्लेटफार्म पर पहुँच जाती है तब गाड़ी से उतरने वाले लोग अपना सामान तथा बच्चे लेकर नीचे उतरते हैं तथा चढ़ने वालों को गाड़ी में सवार होने की अपनी जल्दी होती है ताकि वह गाड़ी से रह न जाएँ। फलस्वरूप उतरने और चढ़ने वाली सवारियों में काफी धक्कम-धक्का हो जाता है। कुली यात्रियों का सामान सिर पर उठाए डिब्बे में घुसने की कोशिश में लगे होते हैं। पर कुछ ही समय में गाड़ी में चढ़ने और उतरने वाले लोगों में जो संघर्ष हो रहा होता है वह धीमा पड़ जाता है।
चाय तथा खाने की वस्तुएँ बेचने वाले लोग गाड़ी की खिड़कियों के आगे ज़ोर ज़ोर से आवाज़े देने लगते हैं। कई मुसाफिर पानी पीने के लिए नल की तरफ बढ़ जाते हैं। कुली गाड़ी से उतरने वाले लोगों का सामान लिए प्लेटफार्म से बाहर जा रहे होते हैं। सवारियों की एक बहुत भारी भीड़ प्लेटफार्म से होती हुई टी.टी.ई.से टिकट चैक करवाते हुए गेट से बाहर आना शुरु हो जाती है। स्टेशन के बाहर आकर लोग पैदल, रिक्शा या आटो रिक्शा की सहायता से अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाते हैं।
इधर गाड़ी में जो नई सवारियाँ चढ़ती हैं वे अपनी अपनी सीटों पर बैठ जाती हैं। गाड़ी सीटी देकर चलने लगती है। उनको छोड़ने आए उनके रिश्तेदार, सगे-सम्बन्धी उनको अश्रुपूर्ण नेत्रों से देखते रहते हैं। जल्दी ही प्लेटफार्म खाली हो जाता है। चाय तथा ठंडा पेय बेचने वालों के अतिरिक्त कोई भी मुसाफिर दिखाई नहीं देता। ऐसे समय में छोटे स्टेशन तो एकदम खाली दिखाई देते हैं, परन्तु अमृतसर, लुधियाना, जालन्धर, दिल्ली, कलकत्ता, बम्बई, मद्रास आदि बड़े-बड़े स्टेशनों पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वहां पर एक गाडी जाती तथा दूसरी आती ही रहती है।