Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Paropkar”, ”परोपकार” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Paropkar”, ”परोपकार” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

परोपकार

Paropkar

 

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पानि ।

कहि रहीमपर काजहित, सम्पत्ति संचहिं सुजान।।

 

परोपकार की महिमा रहीम के इस दोहे से प्रकट होती है। परोपकार का ऐसा सटीक उदाहरण इसमें दिया गया है। वृक्ष फल पैदा करते है पर स्वयं नहीं खाते। वृक्षों का जीवन परोपकार में ही व्यतीत होता है। तालाब अपना पानी स्वयं ही नहीं पीते। उनका पानी पशु पक्षी ही पीते हैं। मानव जाति भी उस पानी का लाभ उठाती है। इसी प्रकार परोपकारी सज्जन भी अपनी सम्पत्ति का उपयोग अन्य लोगों की भलाई के लिए करता है।

परोपकार एक पवित्र भावना है। यह हृदय की गहराई से उत्पन्न होती है। अच्छे नैतिक गुणों से सम्पन्न व्यक्ति ही परोपकार में प्रवृत्त होता है। स्वार्थ की भावना को तिलांजाल देकर ही परमार्थ, परोपकारी भावना का जन्म होता है। हमारे देश में परोपकारी सज्जनों की कमी नहीं है। ऐसे अनेकों महापुरुष भारत में जन्मे हैं, जो परोपकार ही जीवन का उद्देश्य बना चुके थे।

शिक्षा के लिए पाठशालाएँ खोलना, यात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशालाएँ बनवाना, कुएँ खुदवाना, अस्पतालों को खोलकर दीन दुखियों को सहायता देना, भूखों को अन्नदान, नंगों को वस्त्र दान करना सभी परोपकार के उदाहरण है। हमारे देश में इस प्रकार की संस्थाओं की भरमार है। ये सभी कर्म परोपकार की भावना से ही किए जाते।

प्राचीन काल से इस देश में परोपकार की भावना को प्रमुखता दी । जाती रही है। एक थे दधीचि मुनि। जब देवताओं को पता चला कि दधीचि मुनि की हड्डियों से बना वज्र ही राक्षसों को मारने में सहायक होकर उनकी रक्षा कर सकेगा तो वे दधीचि मुनि के पास पहुँचे। देवताओं की इच्छा जानकर दधीचि मुनि ने अपने प्राण त्यागने में भी संकोच नहीं किया। उनकी हड्डियों से वज्र बनाकर देवताओं ने राक्षसों का संहार कर अपनी रक्षा की । परोपकार का इतना उत्कृष्ट उदाहरण क्या किसी देश में उपलब्ध हो सकता है।

राजा शिवि भी भारतीय ही थे। उन्होंने शरणागत कबूतर की बाज से रक्षा करने के लिए अपने हाथों से ही अपना माँस काटकर दे डाला। परोपकार का यह कितना उत्कृष्ट उदाहरण है।

लोग परोपकार क्यों करते हैं। परोपकार की भावना चरित्र का नैतिक उत्थान है। हृदय की उदात्त भावनाओं में से परोपकार एक है। यह गुण ही मनुष्य का वास्तविक आभूषण है।

आभरण नर देह का बस एक पर उपकार है,

हार को भूषण कहे उस बुद्धि को धिक्कार है।”

 

परोपकारी व्यक्ति को परोपकार करने से क्या मिलता है। वह परोपकार क्यों करता है? उसे कोई भौतिक प्राप्ति तो होती नहीं। हृदय में सुख और शान्ति ही उसकी परिणति है। संतोष एवं आत्मसुख ही। की ओर उन्मुख हो पाता है। परोपकारी की सम्पत्ति बनती है। कोई सदाचारी व्यक्ति ही परोपकार।

स्काउटों में परोपकार की भावना उत्पन्न कराने के लिए उनको एक डायरी रखने को उत्साहित किया जाता है। उनसे कहा जाता है।

प्रतिदिन कोई परोपकार का काम करके उसका उल्लेख डायरी में करें। इस प्रकार उनमें परोपकार की प्रवृत्ति बढ़ती है। रास्ते से कांटे हटाना, अंधों की सड़क पार कराना, किसी दुर्घटना पीड़ित की प्रथम चिकित्सा करना, उसको अस्पताल तक पहुँचाना, भिखारी को भिक्षा देना सभी संतोष और सुख प्राप्त होता है। छोटे छोटे परोपकार के कार्य हैं। ऐसा करने में खर्च तो कुछ नहीं होता

परोपकारी व्यक्ति समाज में आदर पाता है। उसके नैतिक गुणों के कारण सभी उसको सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। सभी लोग उसके साथ उठने बैठने के लिए लालायित रहते हैं। सभी मामलों में उसकी राय लेते हैं।

परोपकार का गुण मानव को देवता बना देता है। सभी देशवासियों को ऐसे परोपकारियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे कारण किसी को कोई कष्ट तो नहीं पहुँच रहा। इस प्रकार के आचरण से मनुष्य दूसरों की सेवा करने में प्रवृत्त हो सकेगा।

इस युग में स्वार्थ की प्रबलता के कारण परोपकार का गुण लुप्त होता जारहा है। यह हमारा नैतिक हास है। हमें प्रयत्न पूर्वक इस प्रवृत्ति को रोकना चाहिए। ऐसा न करने पर देश में अनेक विपत्तियों के आने की सम्भावना है।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *