Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Pariksha ki Tayari”, ”परीक्षा की तैयारी” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
परीक्षा की तैयारी
Pariksha ki Tayari
अक्सर परीक्षा को एक बहुत कठिन कार्य या कोई भूत-प्रेत समझ लिया जाता है। ऐसा मान लिया जाता है कि उस पर पार पाना हमारे या आम आदमी के बस की बात नहीं है। कइयों को परीक्षा-ज्वर से ग्रस्त हो इधर-उधर नाहक अथवा रोना रोते हुए देखा-सुना जा सकता है कि अपनी तरफ से तो रात-दिन पढ़ने में एक किए रहता हूँ, परिणाम पता नहीं क्या होगा? या फिर सिर उठाकर इधर-उधर तक नहीं देख पाता। अक्सर ऐसे मुहावरे भी सुनने-पढ़ने को मिल जाया करते हैं कि उसके सिर पर तो परीक्षा का भूत सवार है। बेचारा हर समय किताब लेकर बैठा रहता है या फिर पता नहीं क्या होगा? अपनी ओर से तो बहुत परिश्रम कर रहा हूँ/रहा है। परीक्षा की तैयारी को लेकर और भी इस तरह की कई बातें कही-सुनी जाती हैं।
हमारा विचार है कि इस तरह की बातें कहने-करने वाले यदि सचमुच मन लगाकर पढ रहे होते हैं, तो निश्चय ही उन्हें परीक्षा से घबराने या डरने की कतई कोई आवश्यकता नहीं है। हाँ, यदि किताब सामने खोलकर केवल पढ़ने का बहाना कर रहे होते हैं, मन-मस्तिष्क कहीं अन्यत्र भटकने के लिए खुले छोड़ रखे होते हैं; तो, न तो इसे परीक्षा की तैयारी कहा जा सकता है और न ही इस सब का कोई अच्छा परिणाम ही आ सकता है। ऐसा कहने-करने वाले समझ लीजिए कि सभी को तो धोखा दे ही रहे होते हैं। सबसे बढ़कर अपने-आप को धोखा दे रहे होते हैं। ऐसे व्यक्ति को असफल होने से स्वयं भगवान् भी आकर नहीं बचा सकते। केवल विद्यालय आदि की परीक्षाओं में ही नहीं, बल्कि जीवन की कदम-कदम पर सामने आने वाली किसी भी परीक्षा में ऐसा आदमी कभी सफल नहीं हो पाया करता।
वास्तव में विद्यार्थी की परीक्षा की तैयारी कक्षा-भवन से ही आरम्भ हो जाया करती है। शिक्षक महोदय जो कोई विषय भी कक्षा में पढ़ा या समझा रहे हैं, उसे एकाग्र मन-मस्तिष्क से पढ़-सुनकर समझना, समझ लो कि परीक्षा की आधी तैयारी वहीं हो गई। उसके बाद तो उस पढ़-समझे का मात्र दोहराते रहने की ही जरूरत रह जाया करती है। हाँ, दोहराने का एक खास तरीका होना चाहिए। वह यही हो सकता है कि छुट्टी के बाद घर पहुँच कर नाश्ता या खाना खाने और कुछ विश्राम करने के बाद स्वस्थ और एकाग्र मन से बठकर कुछ देर सोचें कि शिक्षक महोदय ने आज कक्षा में क्या पढ़ाया था? सोचने-विचारने के बाद सम्बन्धित विषय को पुस्तक निकाल कर एक बार ध्यान से पढ़ा जाये। इस एक बार पढने से ही पता चल जाएगा कि कितना समझाया और कितना याद है या हो चुका है। इसके बाद एक-दो या आवश्यकतानुसार अधिक बार उस सब को पढ़कर उसी दिन या अगले दिन, या फिर कभी भी किन्तु जल्दी उसे पढ़ें और याद किये को केवल स्मृति के आधार पर लिखने करें। लिखते समय आवश्यकता पड़ने पर पुस्तक या कक्षा में लिए गए नोटस की सहायता लें। ऐसा करने से एक तो लिखने का अभ्यास हो जाएगा, दुसरे पढ़ा हुआ अच्छी तरह याद भी हो जाएगा। तीसरे यह भी पता चल जाएगा कि एक प्रश्न-से-कम कितने समय में लिखा या एक प्रश्न का कितने समय में उत्तर दिया जा सकता है। बस, हो गई परीक्षा की तैयारी।
ऐसा नित्य प्रति करते रहने वाले के लिए परीक्षा भूत या कठिन नहीं रह जाती। ऐसा सब करने के बाद फिर तो बस उस लिखे प्रश्न को कभी-कभी दोहरा लेने की आवश्यकता ही रह जाती है, ताकि भूले नहीं। एक बार ऐसा कर देखिए और फिर देखिए अपना परीक्षा-परिणाम, निश्चय ही वह आशा से कहीं अच्छा होगा। मैंने स्वयं ऐसा ही किया है। विश्वासपूर्वक, मन लगाकर ऐसा करने वाला कभी असफल नहीं हो सकता, हमारा दृढ विश्वास है।
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