Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Mera Priya Pashu – Ghoda”, “मेरा प्रिय पशु – घोड़ा” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
मेरा प्रिय पशु – घोड़ा
Mera Priya Pashu – Ghoda
घोड़ा एक पालतू तथा अत्यंत वफादार पशु है। यह सुंदर तथा आकर्षक पशु है। यह मुख्य रूप से सवारी के काम आता है। पुराने जमाने में लोग इस पर बैठकर लंबी-लंबी यात्राएँ किया करते थे। किंतु आज के युग में पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों ने इसका स्थान ले लिया है। पहले लोग घुड़सवारी का आनंद लिया करते थे। यह ताँगे को खींचने का काम करता है। ताँगे में बहुत सवारियाँ बैठ जाती हैं तथा घोड़ा उस गाड़ी को अपनी अपार शक्ति से खींचकर एक स्थान से दूसरे स्थान स्थान तक ले जाता है। वैसे घोड़ा स्वतंत्रता प्रिय पशु है। इसकी शक्ति का पता इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बड़े से बड़े इंजन की शक्ति को नापने का मानक ‘हॉर्स पावर’ है अर्थात् ‘घुड़ शक्ति’। घोड़ा अत्यंत बुद्धिमान पशु है। यह शीघ्र ही मानव की बातों को समझकर उनके अनुसार कार्य करने लगता है।
पुराने समय में घुड़सवार सेना हुआ करती थी। घोड़े युद्ध के बीच अपने मालिक का आदेश माना करते थे और उन्हें युद्ध जिताने में हर संभव योगदान देते थे। राणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता और वफादारी के किस्से आज भी पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा मैदान तथा पहाड़ों पर जहाँ कोई वाहन नहीं चलता है वहाँ घोड़े से ही सवारी और माल ढोने का काम लिया जाता है। वैसे भारत में ही घोड़ों की अनेक अच्छी प्रजातियाँ हैं, लेकिन अरबी तथा तुर्की घोड़े संसार में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। उनकी दौड़ने की गति, शक्ति और सुंदरता का कोई जोड़ नहीं है। घोड़े का प्रयोग खेलों में भी किया जाता है। पोलो तथा घुड़दौड़ में घोड़े ही अपने मालिक को खेल में जिताते हैं। इस प्रकार घोड़ा अत्यंत वफादार तथा उपयोगी पशु है। यह प्राचीन समय से ही मानव जाति की सेवा करता आ रहा है।