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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Marco Polo” , ”मार्को पोलो” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मार्को पोलो

Marco Polo

 

इटली: साहसी खोज यात्री

जन्म : 1254,  मृत्यु : 1324

 

मार्को पोलो का जन्म सन् 1254 में इतिहास प्रसिद्ध खोजी यात्री निकोलो पोलो के यहां वेनिस (इटली) में हुआ था। उसके पिता निकोलो अपने भाई माफियो पोलो के साथ सन् 1260 में भूमध्यसागर के पार व्यापार करने गए थे। उन्होंने तुर्की, रूस, मंगोलिया एवं चीन की यात्राएं की और कुबलाई खान के दरबार में पहंचे। उस समय वह चीन आने वाले प्रथम यूरोपीय थे। यहां उनका बड़ा अच्छा स्वागत हुआ। सन् 1269 में पोलो-बंधु बहुत-से धन के साथ वेनिस वापस पहुंचे।

सन् 1271 में निकोलो बंधु मार्को पोलो को साथ लेकर पुनः चीन यात्रा पर रवाना हुए। – उस समय मार्को सत्रह वर्ष का था। इन तीनों यात्रियों ने समद, रेगिस्तान एवं पर्वतों को पार किया। उनकी यात्रा का मार्ग फिलिस्तीन, आर्मीनिया, इराक, इरान तथा तिब्बत होते हुए था। इस अभियान में मार्को ने बड़े साहस का परिचय दिया। तीन वर्ष बाद वे चीन पहुंचे, तो निकोलो बंधु को फिर से देखकर कबलाई खान बहुत प्रसन्न हुआ। उसने मार्को को अपने यहां रख लिया। उस समय कुबलाई खान नध्य एशिया में सबसे शक्तिशाली सम्राट था। मार्को चीनी सम्राट के भव्य महल, मंगोल संस्कृति आदि देखकर बहुत प्रभावित हुआ। इतना वैभवशाली राज्य उसने पहले कभी नहीं देखा था। इस दौरान उसने मंगोल भाषा सीखी व अपने अनुभवों का कुबलाई खान से आदान-प्रदान किया। बाद में उसने अपने अनुभवों को कलमबद्ध किया।

मंगोल-चीन के अलावा मार्को पोलो ने बर्मा तथा श्रीलंका की भी यात्रा की। सन् 1295 में जब वह वेनिस वापस आया, तब वह 41 वर्ष का हो चुका था। उसके जीवन के पच्चीस साल मध्य-पूर्व एशिया में गुजरे। यूरोप में वेनिस और जिनोआ के बीच हुए युद्ध में उसे कई दिनों तक बंधक रहना पड़ा। सन् 1324 में उसकी मृत्यु हो गयी।

यूरोप से पूर्वी एशिया व चीन तक की यात्रा सुगम बनाने, मार्ग खोजने तथा यूरोप और एशिया को एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित कराने के लिए मार्को पोलो का नाम भूगोल तथा अन्वेषण जगत में बड़े आदर के साथ लिया जाता है।

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