Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Maharana Pratap” , ”महाराणा प्रताप” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Maharana Pratap” , ”महाराणा प्रताप” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

महाराणा प्रताप

Maharana Pratap

 

भारत : स्वाधीनता के पुजारी

जन्म : 1540 मृत्यु : 1597

 

महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एक अत्यंत गौरवशाली पात्र हैं। उनके त्याग, शौर्य और राष्ट्रभक्ति की तलना किसी से नहीं की जा सकती। यदि राजपूतों को भारतीय इतिहास में सम्मानपूर्ण स्थान मिल सका, तो इसका श्रेय मख्यतः राणा प्रताप को ही जाता है। उन्होंने अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया और न ही कलंकित। विशाल मुगल सेनाओं को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था। मुगल सम्राट अकबर उनके राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे, किंत राणा प्रताप ने ऐसा नहीं होने दिया और आजीवन संघर्ष किया।

सन् 1572 में मेवाड़ के सिंहासन् पर बैठते ही उन्हें अभूतपूर्व संकटों का सामना करना पड़ा, मगर धैर्य और साहस के साथ उन्होंने हर विपत्ति का सामना किया। मुगलों की विराट सेना से हल्दी घाटी में उनका भारी युद्ध हुआ। वहां उन्होंने जो पराक्रम दिखाया, वह भारतीय इतिहास में अद्वितीय है। उन्होंने अपने पूर्वजों की मान-मर्यादा की रक्षा की और प्रण किया कि वह जब तक अपने राज्य को मुक्त नहीं करवा लेंगे, तब तक राज्य-सुख का उपभोग नहीं करेंगे। तब से वह भूमि पर सोने लगे। वह अरावली के जंगलों में कष्ट सहते हुए भटकते रहे, परंतु उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना जीवन होम कर दिया।

महाराणा प्रताप सिसोदिया वंश के राणा उदय सिंह के पुत्र थे। बचपन से ही वह साहसी, वीर, स्वाभिमानी एवं स्वतंत्रताप्रिय थे। सन् 1572 में वह सिंहासनारूढ़ हुए। 57 वर्ष की आयु में वह स्वर्ग सिधार गए।

यद्यपि महाराणा प्रताप शक्तिशाली मुगलों को पराजित नहीं कर पाए. पर उन्होंने वीरता का जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह अद्वितीय है। उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया. वे’ वास्तव में जटिल थीं, पर उन्होंने हार नहीं मानी। वह आज भारत में शौर्य, साहस और स्वाभिमान के प्रतीक बन गए हैं। मुगल साम्राज्य का सूर्य तो डूब गया, किंतु राणा प्रताप की गौरवगाथा आज भी गायी जाती है। कर्नल टॉड सहित कई विदेशी इतिहासकारों ने उनके स्वाभिमान की प्रशंसा की है। कहा जाता है कि राणा के देहांत की खबर पाकर स्वयूँ अकबर की आंखें डबडबा आई थीं।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *