Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Kisano me Aatmhatya ki Samasya”, “किसानो में आत्महत्या की समस्या” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
किसानो में आत्महत्या की समस्या
Kisano me Aatmhatya ki Samasya
भारत के कृषकों में आत्महत्या की प्रवृति निरंतर बढ़ती जा रही है, विशेषकर महाराष्ट्र और विदर्भ के किसानों में। विगत एक दशक में भारत ने भले ही अन्य क्षेत्रों में प्रगति की हो, पर कृषि के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। आज भी किसानों को बैकों और साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है जो चुकाने का नाम नहीं लेता। किसान इस कर्ज के बोझ के तले दबते चले जाते है। और एक दिन आत्महत्या करने को विवश हो जाते हैं। अब तक हजारों कृषक आत्महत्या कर चुके हैं। यद्यपि 2008-09 के बजट में केंद्रीय सरकार के वित्तमंत्री ने किसानों के साठ हजार करोड़ के बैंक ऋण माफ करने की आश्वासन दिया, पर इस घोषणा के बाद भी कई सौ किसानों ने आत्महत्या कर ली। इससे सरकारी वायदे की कलई खुल जाती है। वास्तविकता तो यह है कि अधिकाशं किसानों ने साहूकारों से कर्ज ले रखा है और उसकी ओर सरकार का ध्यान नहीं गया है। बैंको का ऋण तो कुछ किसानों पर ही है। इसके बावजूद जैसा कि हमारी सरकार घोषणा में रियायत के साथ ऐसी शर्तें जोड़ दी जाती है जिससे आम लोगों को कोई लाभ नहीं पहुँच पाता। घोषणा सिर्फ कागजी बनकर रह जाती है। किसानों को सरकारी घोषणा पर विश्वास नहीं हो रहा क्योेंकि बैंक कर्ज माफी के लिए बजट में कोई प्रावधान किया ही नहीं गया है।
किसानों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए ठोस उपाय करने होंगे। हर बात को चोट की राजनीति से देखना गलत है। सरकार भी चुनावों से पूर्व इस प्रकार का पाँसा फेंककर किसानों को बेवकूफ बनाना चाह रही है।