Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Gunnar Myrdal” , ”गुन्नार मिर्डल” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
गुन्नार मिर्डल
Gunnar Myrdal
स्वीडन : आर्थिक विचारक
जन्म : 1898 मत्यु : 1987
20वीं सदी के अग्रणी आर्थिक विचारक गुन्नार मिर्डल का जन्म सन् 1898 में सोलवार्बो (स्वीडन) में हुआ था। वह युवावस्था में काफी प्रखर विचारों के व्यक्ति थे। उन्होंने स्टाकहोम यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पद पर कार्य किया। वह समय-समय पर अपने आर्थिक विचारों का प्रतिपादन करते रहे। उधर उनकी पत्नी एल्वा मिर्डल ने निःशस्त्रीकरण के लिए बहुत प्रयास किए।
सन् 1982 में एल्वा (निधन : फरवरी, 1987) को ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ प्रदान किया गया। इसके कुछ वर्ष पूर्व डॉ. गुन्नार मिर्डल को ‘नोबेल पुरस्कार’ (अर्थशास्त्र – 1974) दिया गया था। सन् 1981 में इस प्रख्यात दंपति को भारत सरकार ने ‘जवाहर लाल नेहरू अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया। मिर्डल-दंपति का भारत से घनिष्ठ संबंध रहा है। सन् 1958 में पं. नेहरू के आग्रह पर गन्नार मिर्डल ने भारतीय संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया था। ‘द एशियन ड्रामा’ (1968) गुन्नार मिर्डल की सबसे प्रख्यात कृति है। ‘द अमेरिकन डाइलेमा’, ‘मॉनेटरी इक्विलिब्रियम’ तथा ‘इकनॉमिक थ्योरी एंड अंडर डेवलप्ड रीजन्स’ भी उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। 18 मई, 1987 को 90 वर्ष की अवस्था में डॉ. मिर्डल का देहांत हुआ।
डॉ. मिर्डल द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में उभरे। उन्होंने एशिया एवं अमरीका के सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों का गहरा अध्ययन किया था। एशियाई देशों की निर्धनता एवं अल्पविकसित स्थिति को दूर करने के लिए उन्होंने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था कि, “एशिया के राष्ट्र कठोर कदम उठाए बिना गरीबी दूर नहीं कर सकते।” मिर्डल ने अमरीका के नीग्रो समाज पर होने वाले भेद-भाव को भी रेखांकित किया था। युद्ध के बाद की यूरोपीय आर्थिक दशा तथा राजनैतिक शक्तियों पर भी उनके विचार महत्त्वपूर्ण रहे। उन्होंने ‘एशियन ड्रामा’ के माध्यम से दक्षिणी एशिया के राष्ट्रों (सॉफ्ट-स्टेट) की आर्थिक समस्याओं तथा उनके निराकरण की बड़ी अच्छी चर्चा की है। उनके विचार के अनुसार इस क्षेत्र का आर्थिक विश्लेषण पाश्चात्य राष्ट्रों से अलग है और इसके परिणाम भी अलग हैं।