Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Eve Teasing” , ”छेड़-छाड़” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
छेड़-छाड़
छेड़-छाड़ एक सामाजिक अपराध है। एक गलत हरकत या किसी को गंदे तरीके से कुछ गलत कहना छेड़-छाड़ का एक बहुत बुरा रूप है। यह शारारिक छेड़-छाड की हद तक भी पहुंच जाती है। यह स्त्रियों को दिमागी पूरेशानी प्रदान करती है।
छेड़-छाड़ विलोम लिंग का एक-दूसरे की तरफ खिंचाव का ही नतीजा है। हमारे समाज में लड़कों तथा लडकियों को आपस में अधिक घुलने-मिलने की इजाजत नहीं दी जाती। भावनाओं का खुद पर अधिक हावी होना छेड़-छाड़ को अंजाम देता है। इसका दूसरा कारण पश्चिमी प्रभाव भी है। शिक्षा, साहित्य तथा सिनेमा के माध्यम से यहा पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव पड़ रहा है। इलैक्ट्रानिक मीडिया ने पश्चिमी जीवन शैली का प्रचार किया है। भारत की युवा पीढ़ी उसकी नकल करने का प्रयास कर रही है।
इस प्रकार की छेड़-छाड़ ने युवा लड़कियों की हालत दयनीय बना दी है। जब लड़कियों को बसों में छेड़ा जाता है। उन्हें धकेला तथा उनकी बेइज्जती की जाती है। कई का उन्हें जबरदस्ती चूमा जाता है या गले लगाया जाता है। लेकिन कोई भी उनकी सहायता की करता। उनको गलत शब्द कहे जाते हैं। आवारा लड़के सीटी बजाकर तथा फिल्मी हीरोइनों के नाम लेकर उनको तंग करते हैं। जवान लड़कियों को यह सब कुछ इसलिए सहना पड़ता है क्योंकि उनका विरोध कई बार उनके शारीरिक शोषण का कारण बन जाता है। आने-जाने वाले लोग उनकी इस हालत का गलत फायदा उठाते हैं।
औरतें पुलिस से भी शिकायत दर्ज करवाने से डरती हैं। छेड़-छाड़ करने वालों को अधिक सख्ती से नहीं देखा जाता। अधिकतर उन्हें डांट कर या छोटी-मोटी सजा देकर लोट दिया जाता है। हमारे कानून में दर्ज सजाएँ उनके लिए काफी नहीं हैं। छेड़-छाड़ करने वालों को नंगा कर गलियों में घुमाना चाहिए। औरतों को जूडो-कराटे सीख कर इन लोगों को सबक सिखाना चाहिए।
छेड़-छाड़ एक अपराध है। इसे ध्यानपूर्वक देखना चाहिए। लोकतंत्र में यदि कमजोर वर्ग को सुरक्षा न दी जाए तो औरतें निडर नहीं बन पायेंगी। यदि यह अपराध बढ़ते रहे, समाज हमेशा नीचे गिरता जाएगा।