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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “David Ricardo” , ”डेविड रिकार्डो” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

डेविड रिकार्डो

David Ricardo

 

इंग्लैंड: अर्थशास्त्री

जन्म : 1772 मृत्यु : 1823

 

युग प्रवर्तक अर्थशास्त्रियों में रिकार्डो का स्थान एडम स्मिथ, माल्थस, मार्क्स, मार्शल, कीन्स, मिल आदि के समकक्ष है। उन्होंने लगान का महत्त्वपूर्ण सिद्धांत दिया था।

डेविड रिकार्डों का जन्म सन् 1772 में इंग्लैंड के एक यहूदी परिवार में हुआ था। उनके पिता शेयर दलाल थे। रिकार्डो ने वाणिज्य की शिक्षा पाने के बाद शेयर का व्यवसाय अपनाया, किन्तु 21 वर्ष की उम्र में जब इन्होंने ईसाई धर्म अपना कर एक युवती से विवाह किया, तो घर से निकाल दिए गए। सन् 1819 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और संसद तक पहुंचे।

अपने लंदन प्रवास के दिनों में रिकार्डो ने उस समय 20 लाख पौंड की धनराशि कमाई थी, जो उनके उदार होने के कारण जल्दी ही समाप्त हो गई। सन् 1823 में जब रिकार्डों का निधन हुआ, तब उनके पास मात्र सात पौंड शेष रहे थे।

अर्थशास्त्र में रिकार्डो ने जो लगान संबंधी विचार व्यक्त किए हैं, उन्हें बहुत उपयोगी माना जाता है। उनके अनुसार, “लगान भूमि की उपज का वह भाग है, जो भूमिपति को भूमि के मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों के प्रयोग के लिए दिया जाता है।”

रिकार्डो की प्रमुख रचनाएं हैं : ‘द हाई प्राइस ऑफ बुलियन-एप्रूफ ऑफ द डेप्रिसिएशन ऑफ बैंक नोट्स ‘ (1810), ‘प्रिंसिपल्स ऑफ पॉलिटिकल इकॉनामी एण्ड टेक्सेशन’ (1817), ‘प्रोटेक्शन ऑफ एग्रीकल्चर’ (1822), ‘ए प्लान फॉर दि एस्टेबलिशमेंट ऑफ नेशनल बैंक’ (1824) तथा ‘ नोट्स ऑन माल्थस प्रिंसिपल ऑफ पॉलिटिकल इकॉनामी’ (1824)।

रिकार्डो ने स्वतंत्र व्यापार’ का समर्थन किया था, क्योंकि इससे सामाजिक हितों में वृद्धि होती है।

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