Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Cinema Hall Ke Samne Ka Drishya” , ”सिनेमा हाल के सामने का दृश्य” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
सिनेमा हाल के सामने का दृश्य
सिनेमा मनोरंजन का एक सस्ता साधन है। लोग अक्सर जहां जाते रहते हैं। विद्यार्थी इसके बहुत शौकीन होते हैं। फिल्में देखने के लिए वे अपनी पढ़ाई भी छोड़ देते हैं। मैं फिल्मों का अधिक फैन नहीं हूँ लेकिन जब भी मुझे सिनेमा जाने का मौका मिले तो मुझे हमेशा सिनेमा हाल के सामने एक दिलचस्प दृश्य देखने को मिलता है।
लोग टिकट खिड़की के सामने कतारों में खड़े होते हैं। हर कोई अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा होता है। जब कभी भी कोई नई फिल्म लगती है तो लोगों की बहुत भीड़ होती है। तब कतार तो बनती ही नहीं है। हर तरफ धक्का-मुक्की होती है। वहां पुलिसवाले भी होते हैं। वे वहां पर असहाय दर्शकों के रूप में खड़े होते हैं। जेब कतरे भी बीच में ही शामिल होते है। वहां कई काली कमाई भी कर रहे होते हैं जो टिकटों को ऊंचे दामों पर बेचते हैं।
लोग झुंड बनाकर खड़े होते हैं। वे समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित होते हैं। वह अच्छे कपड़े पहन कर आए होते हैं। वे विभिन्न फिल्मों, फिल्म सितारों तथा फिल्मों की बात कर रहे होते हैं। कुछ लोग चाय के स्टाल के समीप खड़े हो कर कई प्रकार के पदार्थ चख रहे होते हैं। फिल्म शुरू होने तक लोग आते रहते हैं। अमीर कारों में, कई रिक्शा पर तो कई पैदल ही आ रहे होते हैं। गाड़ियों की आवाजें कानों को खा रही होती हैं।
हाल के प्रत्येक द्वार पर टिकट देखने वाला व्यक्ति खड़ा होता है. फिल्म में दिखाई जाने वाली वाले दृश्यों की अनेक तस्वीरें बनाई गई होती हैं। यह तस्वीरें हाल के पिछली तरफ लगाई गई होती हैं। लोगों के चेहरों से ऐसा लगता है कि जैसे उनको जीवन में कोई दुःख नहीं है। इस प्रकार सिनेमा हाल के बाहर बिताए कुछ पल मानव के हृदय के भावों को जानने में सहायता करते हैं।